Lok Sabha की एक, Vidhan Sabha की छह सीटों पर ByPolls: जानें- कहां से कौन मैदान में और किसका पलड़ा भारी?

Bypolls 2022: वैसे, इन उपचुनाव के नतीजों का केंद्र या राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा को दोनों जगहों पर बहुमत हासिल है। हालांकि, इन चुनावों में जीत 2024 के आम चुनावों से पहले पार्टियों को एक मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करेगी।

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Bypolls 2022: एक संसदीय और छह विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए मतों की गिनती आठ दिसंबर को की जाएगी। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Bypolls 2022: लोकसभा की एक सीट और विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव के लिए आज (पांच दिसंबर, 2022) वोटिंग है। मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक चलेगा। इन सीटों में उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट है, जबकि पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटें (उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुढ़नी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट) हैं। अफसरों ने इन उपचुनाव के लिए व्यापक बंदोबस्त किए हैं। उपचुनावों की मतगणना गुरुवार (आठ दिसंबर, 2022) को होगी। रोचक बात है कि उसी रोज गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए भी वोटों की गिनती की जानी है।
मैनपुरी सीट सपा के संस्थापक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के देहांत के चलते खाली हुई। वहां उनके बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) की डिंपल यादव (मुलायम सिंह की बहू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रघुराज सिंह शाक्य (शिवपाल सिंह यादव के विश्वासपात्र रहे) के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। वहीं, रामपुर सदर और खतौली विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा-राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस इन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही हैं। रामपुर सदर और खतौली सीटों पर सपा विधायक आजम खान और भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को अलग-अलग मामलों में दोषी और अयोग्य घोषित किए जाने के कारण उपचुनाव जरूरी हुआ था।
वहीं, राजस्थान की सरदारशहर सीट कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा (77) के पास थी, जिनका लंबी बीमारी के बाद नौ अक्टूबर को निधन हो गया था। कांग्रेस ने वहां शर्मा के बेटे अनिल कुमार को मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व विधायक अशोक कुमार भाजपा के उम्मीदवार हैं। आठ अन्य उम्मीदवार भी मैदान में हैं। बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा की मौत के बाद ओडिशा की पदमपुर सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था। वहां 10 कैंडिडेट मैदान में हैं। बीजद ने इस सीट से दिवंगत विधायक बरिहा की बेटी वर्षा को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप पुरोहित और कांग्रेस प्रत्याशी व तीन बार के विधायक सत्य भूषण साहू से चुनौती मिल रही है।
उधर, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भानुप्रतापपुर सीट पर उपचुनाव बीते महीने कांग्रेस विधायक और विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी के निधन के कारण जरूरी हो गया था। इस सीट पर कम से कम सात उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि, यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। कांग्रेस ने दिवंगत विधायक मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी पर भरोसा जताया है, जबकि पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम भाजपा के उम्मीदवार हैं। बस्तर में आदिवासी समुदायों की संस्था सर्व आदिवासी समाज ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी अकबर राम कोर्रम को मैदान में उतारा है, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कोर्रम 2020 में पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
बिहार के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा की जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति को मजबूत करेगी। इस सीट पर उपचुनाव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ‍विधायक अनिल कुमार साहनी को अयोग्य ठहराए जाने के कारण जरूरी हो गया था। वैसे, इन उपचुनाव के नतीजों का केंद्र या राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा को दोनों जगहों पर बहुमत हासिल है। हालांकि, इन चुनावों में जीत 2024 के आम चुनावों से पहले पार्टियों को एक मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करेगी। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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अभिषेक गुप्ता author

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