India's Vs US : भारत की अमेरिका को दो टूक- CAA हमारा आंतरिक मामला, जिन्हें भारत की समझ नहीं वे लेक्चर न दें

India's Vs US on CAA: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस अधिनियम का लक्ष्य अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करना है।

MEA on CAA

भारत ने कहा, सीएए भारत का आंतरिक मामला

CAA India's Internal Matter: भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए इस पर अमेरिका के बयान को गलत और अनुचित बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इसके लागू होने के संबंध में अमेरिका का बयान गलत जानकारी वाला और अनुचित है। अमेरिका द्वारा अधिनियम की अधिसूचना पर चिंता जताए जाने के बाद भारत ने अपना मजबूत रुख जताया है। अमेरिका के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसे इस मामले में किसी भी बड़े देश के विचारों को तवज्जो नहीं देता है जिनके पास भारत की बहुलवादी परंपराओं की सीमित समझ है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था, हम 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं। हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।

विदेश मंत्रालय ने किया स्पष्ट

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस अधिनियम का लक्ष्य अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करना है, जो 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं। सीएए नागरिकता देने के बारे में है, छीनने के बारे में नहीं। यह कानून शरणार्थियों को मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।

सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है और अल्पसंख्यकों के लिए चिंता का कोई आधार नहीं है। जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उन्हें लेक्चर देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जिस इरादे से यह कदम उठाया गया है, भारत के साझीदारों और शुभचिंतकों को इसका स्वागत करना चाहिए।

11 मार्च को अधिसूचित किया गया

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को केंद्र द्वारा 11 मार्च को अधिसूचित किया गया था। विपक्षी दलों और गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस अधिनियम के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। इस अधिनियम में 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से भागकर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लोगों को तेजी से नागरिकता मिलेगी।
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