श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल को मंजूरी, चांद पर मानव भेजने की योजना चढ़ेगी परवान, होंगी ये खासियतें

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में बनाया जाने वाला तीसरा प्रक्षेपण स्थल 8,000 टन की मौजूदा क्षमताओं के मुकाबले 30,000 टन वजनी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम होगा।

श्रीहरिकोटा में बनेगा तीसरा लॉन्च पैड

Third Launch Pad at Sriharikota: अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण, मानवयुक्त गगनयान (Gaganyaan) अभियान और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की योजना के बीच सरकार ने गुरुवार को कक्षा में भारी अंतरिक्ष यान भेजने के लिए श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल की स्थापना को मंजूरी दे दी। भारत की नजर वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी पर है और ऐसे में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में बनाया जाने वाला तीसरा प्रक्षेपण स्थल 8,000 टन की मौजूदा क्षमताओं के मुकाबले 30,000 टन वजनी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम होगा।

3,985 करोड़ रुपये की लागत

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,985 करोड़ रुपये की लागत से तीसरा प्रक्षेपण स्थल स्थापित करने को गुरुवार को मंजूरी दे दी, जिसे चार साल की अवधि के भीतर स्थापित करने का लक्ष्य है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (NGLV)भी विकसित कर रहा है, जिसकी ऊंचाई 91 मीटर होगी। यह 72 मीटर ऊंची कुतुब मीनार से भी ऊंचा होगा।

चार साल के भीतर निर्माण का लक्ष्य

प्रक्षेपण स्थल को अधिकतम उद्योग भागीदारी के साथ बनाया जाएगा, जिसमें पिछले प्रक्षेपण स्थल की स्थापना में इसरो के अनुभव का पूरा उपयोग किया जाएगा और मौजूदा प्रक्षेपण परिसर सुविधाओं को अधिकतम रूप से साझा किया जाएगा। बयान में कहा गया कि तीसरे प्रक्षेपण स्थल को चार साल की अवधि के भीतर स्थापित करने का लक्ष्य है। यह परियोजना उच्च प्रक्षेपण आवृत्तियों और मानव अंतरिक्ष उड़ान तथा अंतरिक्ष अन्वेषण अभियान शुरू करने की राष्ट्रीय क्षमता को मजबूत कर भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी।

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