अयोग्य लाभार्थियों पर खर्च हुए करोड़ों: दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम में मिली खामियां, CAG रिपोर्ट में हुआ खुलासा

CAG Report: मंगलवार को संसद में कैग की रिपोर्ट पेश की गई थी। इसमें कहा गया है कि आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के डेटाबेस में खामियां पाई गई हैं। इसके कारण अयोग्य लाभार्थियों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।

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CAG Report: दुनिया की सबसे बड़ी भारत की पब्लिक हेल्थ अस्योरेंस स्कीम के डाटाबेस में कई खामियां सामने आई हैं। यह बात नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में पता चली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन विसंगतियों के कारण अयोग्य लाभार्थियों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। मुख्य रूप से अपर्याप्त सत्यापन के कारण अयोग्य लाभार्थियों पर यह रकम खर्च हुई है।

बता दें, मंगलवार को संसद में कैग की रिपोर्ट पेश की गई थी। इसमें कहा गया है कि आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के डेटाबेस में खामियों में अमान्य नाम, गलत जन्मतिथि, डुप्लिकेट स्वास्थ्य आईडी और अवास्तविक पारिवारिक आकार शामिल हैं। पर्याप्त सत्यापन नियंत्रण के अभाव में, लाभार्थी डेटाबेस में त्रुटियां देखी गईं।

आधार नंबरों से हुई धांधली

संसद में पेश की गई कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर खामियां आधार नंबरों के गलत इस्तेमाल के कारण हुईं। तमिलनाडु के 36 मामलों में, 18 आधार नंबरों के खिलाफ दो पंजीकरण किए गए थे और सात आधार नंबरों के खिलाफ 4,761 पंजीकरण किए गए थे। वहीं, लाभार्थी पहचान प्रणाली (बीआईएस) में 11 से 7,49,820 लाभार्थियों तक एक ही या अमान्य मोबाइल नंबर के खिलाफ कई लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया था।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में की गई अयोग्य लाभार्थियों की पहचान

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से 2021 के बीच, सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़ों में जम्मू- कश्मीर और लद्दाख में स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा 16,865 और 335 अयोग्य लाभार्थियों की पहचान की गई थी। इसके अलावा छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपात्र परिवार PMJAY लाभार्थियों के रूप में पंजीकृत पाए गए। इन लोगों ने स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठाया। कैग की रिपोर्ट में सितंबर 2018 और मार्च 2021 के बीच की अवधि के आंकड़ों की जांच के बाद कहा, इन अयोग्य लाभार्थियों पर खर्च चंडीगढ़ में 0.12 लाख से लेकर तमिलनाडु में 22.44 करोड़ तक था।

अस्पतालों के पैनलीकरण और प्रबंधन में भी बड़ा अंतर

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल के पैनलीकरण और प्रबंधन में बड़ा अंतर पाया गया है। कई राज्यों में बुनियादी ढांचे, उपकरण, डॉक्टरों और गैर-कार्यात्मक उपकरणों की कमी मिली है। पैनल में शामिल कुछ स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता (ईएचसीपी) समर्थन प्रणाली और बुनियादी ढांचे के न्यूनतम मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। कई राज्यों में बुनियादी ढांचे, अग्नि सुरक्षा उपायों, बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण और अस्पताल पंजीकरण प्रमाण पत्र से संबंधित अस्पतालों के पैनल में शामिल होने के लिए अनिवार्य अनुपालन मानदंडों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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