सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में रखी CAG रिपोर्ट, आप सरकार की शराब नीति पर हुए कई खुलासे, 2000 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
भाजपा आरोप लगाती रही है कि आप सरकार ने अपने कार्यकााल में कैग रिपोर्ट रोक रखी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले गुरुवार को घोषणा की थी कि नई सरकार के पहले सत्र में कैग रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।

सीएम रेखा गुप्ता
CAG Report in Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा में आज सीएम रेखा गुप्ता ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट पेश की। भारतीय जनता पार्टी नीत दिल्ली सरकार ने पिछली आम आदमी पार्टी सरकार पर शराब नीति सहित सीएजी की 14 लंबित रिपोर्ट पेश करने का ऐलान किया था। दिल्ली की नवगठित आठवीं विधानसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन रिपोर्ट पेश की गई।
स्पीकर बोले, आप सरकार ने रिपोर्ट को दबाए रखा
स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कैग रिपोर्ट में काम नहीं किया बल्कि इसे दबाए रखा। कोर्ट के बोलने के बाद भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई। संवैधानिक शक्तियों का उल्लंघन हुआ और रिपोर्ट को छुपाया गया। स्पीकर गुप्ता ने कहा, हाई कोर्ट ने भी कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करने में देरी की गई।
2000 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, जिसके पीछे कमजोर नीतिगत ढांचे से लेकर अपर्याप्त क्रियान्वयन तक कई कारण हैं। यह रिपोर्ट पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के प्रदर्शन पर 14 रिपोर्ट में से एक है, जिसे सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया जाना है। इसमें लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों का भी जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब समाप्त हो चुकी शराब नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था।
चुनावों से पहले चर्चित रहे कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट में 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का दावा किया गया है, जिसमें कहा गया है कि गैर-अनुरूप नगरपालिका वार्डों में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई थी। गैर-अनुरूप क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जो शराब की दुकानें खोलने के लिए भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं। मुख्यमंत्री द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है, आबकारी विभाग को इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा, कोविड महामारी के दौरान बंद के कारण लाइसेंसधारियों को छूट के कारण 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश किए जाने के बाद नीति निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं का मुद्दा भाजपा ने जोर-शोर से उठया था। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के शीर्ष नेताओं ने मामले में जांच एजेंसियों द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद कई महीने जेल में बिताए।
गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक
रिपोर्ट में कहा गया है कि मास्टर प्लान दिल्ली-2021 में गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक है, लेकिन आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलने का आदेश दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, नई दुकानें खोलने के लिए निविदा दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी शराब की दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में है, तो उसे सरकार की पूर्व स्वीकृति से विचार करना होगा।
इसमें कहा गया है, आबकारी विभाग ने गैर-अनुरूप क्षेत्रों में प्रस्तावित दुकानों के लिए तौर-तरीकों पर काम करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की और डीडीए और एमसीडी से टिप्पणी लिए बिना 28 जून, 2021 को प्रारंभिक निविदा जारी की गई। इस मुद्दे के सुलझने से पहले ही अगस्त 2021 में लाइसेंस आवंटित किए गए और दुकानों को 17 नवंबर, 2021 से परिचालन शुरू करने का कार्यक्रम तय था। इस बीच, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 16 नवंबर, 2021 को एक आदेश जारी कर गैर-अनुरूप क्षेत्रों में दुकानों को बंद करने की अनुमति नहीं दी।
सीएम रेखा ने किया था रिपोर्ट पेश करने का ऐलान
भाजपा आरोप लगाती रही है कि आप सरकार ने अपने कार्यकााल में कैग रिपोर्ट रोक रखी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले गुरुवार को घोषणा की थी कि नई सरकार के पहले सत्र में कैग रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। कैग की लंबित रिपोर्ट में राज्य के वित्त, सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण, शराब विनियमन और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कामकाज की समीक्षा शामिल है।
भाजपा ने किआ था अदालत का रुख
भाजपा ने आप के कार्यकाल के दौरान बार-बार इन रिपोर्ट को जारी करने की मांग की थी। पार्टी ने सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने के लिए अदालत का रुख किया था। भाजपा ने आप सरकार पर कथित भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए जानबूझकर ऑडिट में देरी करने का आरोप लगाया था। विधानसभा चुनावों के दौरान यह मुद्दा गहरा गया था, जिसमें भाजपा ने वित्तीय कुप्रबंधन के निष्कर्षों को दबाने के प्रयास के रूप में देरी को उजागर किया था।
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