कलकत्ता HC का अहम फैसला, पुरुष ने यदि लिव इन पार्टनर को बताया है कि वह शादीशुदा है तो यह धोखा नहीं
Calcutta HC : जस्टिस सिद्धार्थ राय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि यदि पुरुष अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में नहीं छिपाता है तो वह लिव-इन संबंध में एक अनिश्चितता भी लेकर आता है। पीड़ित महिला लिव इन रिलेशन की शुरुआत में ही यदि इस अनिश्चितता को पूरे मन से स्वीकार कर लेती है तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा।
कलकत्ता हाई कोर्ट का अहम फैसला।
... तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा-कोर्ट
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस सिद्धार्थ राय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि यदि पुरुष अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में नहीं छिपाता है तो वह लिव-इन संबंध में एक अनिश्चितता भी लेकर आता है। पीड़ित महिला लिव इन रिलेशन की शुरुआत में ही यदि इस अनिश्चितता को पूरे मन से स्वीकार कर लेती है तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि 'किसी तथ्य को छिपाया नहीं गया है तो आईपीसी की धारा 415 जिससे धोखे का आरोप लगता है, उसे साबित नहीं किया जा सकता।'
अलीपुर अदालत के फैसले को पलटा
अलीपुर की एक अदालत की ओर से पारित फैसले के खिलाफ दायर अपील पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। अलीपुर की अदालत ने एक व्यक्ति पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति को अपने पूर्व पार्टनर को 8 लाख रुपए और बाकी की रकम राज्य के कोषागार जमा कराने होंगे। व्यक्ति पर आरोप था महिला के साथ 11 महीने तक रहने के बाद वह अपने शादी के वादे से मुकर गया।
साल 2015 का है ये मामला
यह मामला साल 2015 का है। प्रगति मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के मुताबिक महिला ने फरवरी 2014 में आरोप लगाया कि एक होटल में नौकरी का इंटरव्यू देने जब वह जा रही थी तो उसकी मुलाकात आरोपी मैनेजर से हुई। महिला की शिकायत है कि मैनेजर बातचीत में बहुत औपचारिक था और उसके साथ फ्लर्ट किया। आरोपी ने लड़की से फोन नंबर मांगा जिसे उसने दे दिया। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी ने उसे अपने असफल विवाह संबंध के बारे में बताया और साथ रहने के लिए कहा। महिला ने कहा कि उसने आरोपी की बात मान ली। महिला के माता-पिता को भी इस लिव-इन की जानकारी थी और वे चाहते थे कि शादी के बाद उनकी लड़की की गृहस्थी बस जाए।
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