कलकत्ता HC का अहम फैसला, पुरुष ने यदि लिव इन पार्टनर को बताया है कि वह शादीशुदा है तो यह धोखा नहीं

Calcutta HC : जस्टिस सिद्धार्थ राय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि यदि पुरुष अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में नहीं छिपाता है तो वह लिव-इन संबंध में एक अनिश्चितता भी लेकर आता है। पीड़ित महिला लिव इन रिलेशन की शुरुआत में ही यदि इस अनिश्चितता को पूरे मन से स्वीकार कर लेती है तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा।

कलकत्ता हाई कोर्ट का अहम फैसला।

Calcutta HC : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिव इन रिलेशन पर एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे बताकर पुरुष यदि किसी के साथ लिव इन रिलेशन में आता है तो इसे धोखा नहीं माना जाएगा। हाई कोर्ट ने अपने हाल के फैसले में निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया जिसमें लिव इन पार्टनर के साथ 'धोखा' करने पर एक व्यक्ति पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। इस व्यक्ति पर आरोप था कि वह 11 महीने तक लिव इन में रहा और फिर इस रिश्ते को समाप्त करते हुए अपने शादी के वादे से मुकर गया।

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... तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा-कोर्ट

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टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस सिद्धार्थ राय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि यदि पुरुष अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में नहीं छिपाता है तो वह लिव-इन संबंध में एक अनिश्चितता भी लेकर आता है। पीड़ित महिला लिव इन रिलेशन की शुरुआत में ही यदि इस अनिश्चितता को पूरे मन से स्वीकार कर लेती है तो इसे 'धोखा' नहीं माना जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि 'किसी तथ्य को छिपाया नहीं गया है तो आईपीसी की धारा 415 जिससे धोखे का आरोप लगता है, उसे साबित नहीं किया जा सकता।'

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