Sawal Public Ka: शुरू हुआ काउंटडाउन, 4 टुकड़ों में Pakistan,पाकिस्तान की टूट के संकेत!
Imran Khan's real freedom march: क्या पाकिस्तानी फौज के खिलाफ इमरान खान का असली आजादी मार्च गृहयुद्ध की नौबत ला सकता है?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif को यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन से आदेश मिल रहा है। शहबाज शरीफ लंदन से मिले आदेशों का उपयोग सरकार चलाने के लिए कर रहे हैं। नए ताजा आदेश के अनुसार शहबाज शरीफ को पूर्व प्रधानमंत्री Imran Khan से दूरी बनाए रखने और उनसे किसी प्रकार का संबंध न रखने के लिए कहा गया है। पूर्व पीएम इमरान खान देश में हकीकी आजादी मार्च निकाले हैं। वह इस प्रोटेस्ट मार्च से देश में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। पूर्व प्रधान मंत्री Nawaz Sharif ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को इमरान खान के मार्च या विरोध प्रदर्शनों पर ध्यान नहीं देने और किसी भी बातचीत में शामिल न होने की बात कही है।
75 साल के पाकिस्तान में वहां की फौज के पास लोकतंत्र को हांकने की ताकत रही है... सिविलियन वर्सेज मिलिट्री का संघर्ष अगर हुआ भी है तो दबे-पांव हुआ है और फौज ने उस विरोध को कुचल भी दिया।लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि इमरान खान डंके की चोट पर फौज को...ISI को...और वहां की मौजूदा हुकूमत को ललकार रहे हैं।
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इमरान खान ने अपने आजादी मार्च में जिस तरह से बांग्लादेश बनने का रेफरेंस दिया...उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। पाकिस्तान के अंदर-बाहर के रूल्स सेट करने वाली ISI को भी इमरान खान टारगेट पर लेकर कह चुके हैं कि मैं बहुत कुछ जानता हूं...बस मुल्क की बेहतरी के लिए चुप हूं। इमरान खान का ये गदर जिस दिशा में जा रहा है, उससे पाकिस्तान के बिखरने की संभावनाएं नकारी नहीं जा सकती हैं।
अक्टूबर में तो खुद पख्तूनवा में एंटी पाकिस्तान रैली हुई।
वैसे भी पाकिस्तान के कई हिस्सों में आजादी की मांग पहले से उठ रही हैं। पख्तूनवा जहां पाकिस्तान के 32 में से 7 डिवीजन हैं...वहां को लेकर इसी सितंबर में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र भवन के बाहर एंटी पाकिस्तान प्रोटेस्ट हुआ। अक्टूबर में तो खुद पख्तूनवा में एंटी पाकिस्तान रैली हुई।
इसके अलावा बलूचिस्तान जहां पाकिस्तान के 32 में से 8 डिवीजन है...वहां 1948 से अलग बलूचिस्तान का संघर्ष चल रहा है। पाकिस्तान से आजादी के नाम पर बीते 2 महीनों में 20 से ज्यादा प्रदर्शन हुए हैं। सिंध क्षेत्र जहां पाकिस्तान के 32 में से 7 डिवीजन हैं...वहां भी अलग सिंधुदेश की मांग हो रही है। वहां पर जनवरी 2021 की आजादी रैली की याद आजतक कायम है। पाकिस्तान में जबरदस्त अंसतोष है। इधर पीओके को लेकर भारत का संकल्प बेहद मजबूत है।
तो सवाल पब्लिक का ये है-
1. क्या बांग्लादेश बनने की याद दिलाकर इमरान खान ने पाकिस्तान की टूट का संकेत दिया है?
2. क्या फौज के खिलाफ इमरान खान का असली आजादी मार्च गृहयुद्ध की नौबत ला सकता है?
3. क्या PoK को वापस लेने का भारत का संकल्प जल्द हकीकत बन सकता है?
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