पंजाब से कनाडा जाने वाले ध्यान दें! चंडीगढ़ नहीं, अब दिल्ली जाकर लगवाना होगा वीजा

India-Canada Diplomatic Dispute: अगर आप पंजाब में रहते हैं और कनाडा जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए जरूरी जानकारी है। अब वीजा से जुड़ी सेवाओं के लिए कनाडा जाने वाले लोगों को दिल्ली जाना पड़ेगा। चंडीगढ़ में कनाडा ने अपनी वीदा सेवाओं पर अस्थाई रूप से रोक लगा दिया है। अब पंजाब से कनाडा जाने वाले लोगों को दिल्ली जाकर वीजा लगवाना पड़ेगा।

Canada Visa Services In Chandigarh

कनाडा जाने वाले लोगों को दिल्ली जाकर लगवाना पड़ेगा वीजा।

Chandigarh News: कनाडा ने चंडीगढ़ में अपनी वीजा सेवाओं को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। अब पंजाब से कनाडा जाने वाले लोगों को दिल्ली जाकर वीजा लगवाना पड़ेगा। कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों की वापसी के बाद घोषणा की थी कि वह चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को ‘रोक’ देगा और भारत में सभी कनाडाई लोगों को नयी दिल्ली में उच्चायोग में भेजने का निर्देश दे रहा है। इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि 41 कनाडाई राजनयिकों की ‘इम्युनिटी’ (राजनयिक छूट) को रद्द करने का भारत का फैसला वियना संधि का उल्लंघन है। वहीं भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश से वापसी को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में ‘पेश’ करने की कनाडा की कोशिशों को शुक्रवार को खारिज कर दिया।

कनाडा जाने के लिए दिल्ली जाकर लगवाना पड़ेगा वीजा

चंडीगढ़ और पंजाब के काफी लोग कनाडा में रहते हैं। यहां से काफी छात्र वहां पर पढ़ाई के लिए भी जाते हैं। इसके अलावा टूरिस्ट वीजा पर भी काफी लोग कनाडा जाते हैं। उनकी सुविधा के लिए ही चंडीगढ़ में कनाडा एंबेसी की तरफ वीजा सेंटर खोला गया था। लेकिन अब इसके बंद होने के बाद चंडीगढ़ और पंजाब के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

भारत के कदम पर ट्रूडो ने दी अंतरराष्ट्रीय नियमों की दुहाई

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि 41 कनाडाई राजनयिकों की ‘इम्युनिटी’ (राजनयिक छूट) को रद्द करने का भारत का फैसला वियना संधि का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इससे सभी देशों को चिंतित होना चाहिए। ट्रूडो का यह बयान राजनयिकों की संख्या में समानता सुनिश्चित करने के प्रयास को कनाडा द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन के तौर पर पेश करने की कोशिश को भारत की ओर से खारिज किए जाने के कुछ घंटे के बाद आया है। ओंटारियो के ब्राम्पटन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि भारत सरकार, भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखना ‘अविश्वसनीय रूप से कठिन’ बना रही है। उन्होंन कहा, 'और, वे कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करके ऐसा कर रहे हैं।' ट्रूडो ने दावा किया कि भारत ने जो कार्रवाई की वह अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है।

उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने भारत में 40 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट को एकतरफा रद्द करने का फैसला किया। यह वियना संधि और शासकीय कूटनीति का उल्लंघन है। वे अंतरराष्ट्रीय कानून और कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करना चुन रहे हैं।' कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में दुनिया के सभी देशों को बहुत चिंतित होना चाहिए। यह अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन कर कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की कथित हत्या में भारत सरकार शामिल हो सकती है के हमारे आरोपों को खारिज कर रहा है।' कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों की वापसी के बाद घोषणा की थी कि वह चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को ‘रोक’ देगा और भारत में सभी कनाडाई लोगों को नयी दिल्ली में उच्चायोग में भेजने का निर्देश दे रहा है।

भारत का कनाडा को दिया जवाब, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन नहीं

भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश से वापसी को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में ‘पेश’ करने की कनाडा की कोशिशों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो-तरफा राजनयिक समानता सुनिश्चित करना पूरी तरह से राजनयिक संबंधों को लेकर हुई वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है। भारत की यह टिप्पणी कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली द्वारा भारत से राजनयिकों की वापसी की घोषणा के बाद आई है, जिसमें उन्होंने नयी दिल्ली की कार्रवाई को 'अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत' और राजनयिक संबंधों पर वियना संधि का उल्लंघन बताया था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि समानता लाने के भारत के निर्णय के बारे में लगभग एक महीने पहले कनाडा को अवगत कराया गया था और इसे लागू करने की तारीख 10 अक्टूबर थी, लेकिन इसे 20 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था क्योंकि समानता लागू करने के तौर-तरीकों पर कनाडाई पक्ष से परामर्श से काम किया जा रहा था।

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