'कनाडा भारतीय राजनयिकों के साथ करता है सौतेला व्यवहार...' ट्रूडो सरकार के खिलाफ पहली बार बोले एस जयशंकर

S Jaishankar on Canada: विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब निज्जर की हत्या के मामले में पिछले सप्ताह कनाडा ने भारत सरकार की संलिप्तता के नये आरोप लगाये थे, जिसके बाद भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर।

S Jaishankar on Canada: कनाडा और भारत में जारी तनाव के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार भारतीय राजनयिकों के साथ दोहरा मानदंड अपनाती है। इस दौरान जयशंकर ने इस बात का जिक्र किया कि कनाडा अन्य राजनयिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है और भारत में रहते हुए उसके राजनयिक विशेषाधिकार का उपयोग करने का प्रयास करते हैं।

उन्होंने कहा, दोहरे मानदंड इसके लिए बहुत हल्का शब्द है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि कुछ बहुत ही चुनिंदा मुद्दे हैं। कनाडा ने हमसे हमारे उच्चायुक्त के खिलाफ पुलिस जांच कराने को कहा, जिसके बाद हमने उच्चायुक्त और राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया। जयशंकर की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब निज्जर की हत्या के मामले में पिछले सप्ताह कनाडा ने भारत सरकार की संलिप्तता के नये आरोप लगाये थे, जिसके बाद भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को भी वापस बुला लिया था। ये सभी राजनयिक भारत वापस आ रहे हैं।

कनाडा की सरकार करती है सौतेला व्यवहार

जयशंकर ने कहा, अगर भारतीय राजनयिक सीधे अपनी भलाई और सुरक्षा से संबंधित समस्याओं का पता लगाने की कोशिश भी कर रहे हैं कि आखिर कनाडा में हो क्या रहा है तो भी लगता है कि उन्हें (कनाडा) किसी प्रकार की कोई समस्या है। लेकिन देखिए भारत में क्या होता है। कनाडा के राजनयिकों को हमारी सेना व पुलिस के बारे में जानकारी इकट्ठा करने, लोगों की जानकारियां जुटाने और उन्हें कनाडा जाने से रोकने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती। जयशंकर ने कहा, इस बात से साफ होता है कि वे खुद के लिए अलग नियम बनाते हैं जबकि कनाडा में भारतीय राजनयिकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए वे उन्हीं नियमों की दुहाई देते हैं। जब हम उन्हें बताते हैं कि आपके पास भारत के नेताओं, भारत के राजनयिकों को खुलेआम धमकी देने वाले लोग हैं तो उनका जवाब होता है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।

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