रातोंरात बुलडोजर लाकर नहीं गिरा सकते मकान, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जताई नाखुशी

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से कहा, आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातोंरात भवनों को गिरा दें। आप परिवार को घर खाली करने के लिए समय नहीं देते। घर में रखे घरेलू सामान का क्या?

सुप्रीम कोर्ट

SC on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2019 में अवैध तरीके से ढांचों को गिराने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से नाखुशी जताई और सड़कें चौड़ी करने और अतिक्रमण हटाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए जिसका घर 2019 में सड़क चौड़ी करने की एक परियोजना के लिए गिरा दिया गया था।

रातोंरात भवनों को नहीं गिरा सकते

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से कहा, आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातोंरात भवनों को गिरा दें। आप परिवार को घर खाली करने के लिए समय नहीं देते। घर में रखे घरेलू सामान का क्या? शीर्ष अदालत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कहा कि महाराजगंज जिले में मकान गिराने से संबंधित मामले में जांच कराई जाए और उचित कार्रवाई की जाए। पीठ ने उन कदमों के बारे में भी विस्तार से बात की जो किसी राज्य को सड़क चौड़ी करने की परियोजना के संदर्भ में कार्रवाई से पहले उठाने चाहिए।

शीर्ष अदालत ने राज्यों से कहा कि वे अभिलेखों या मानचित्रों के आधार पर सड़क की मौजूदा चौड़ाई का पता लगाएं तथा सर्वेक्षण करें, जिससे सड़क पर यदि कोई अतिक्रमण है तो उसका पता चल सके। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर सड़क पर अतिक्रमण का पता चलता है तो राज्य को इसे हटाने से पहले अतिक्रमण करने वाले को नोटिस जारी करना होगा और अगर नोटिस की सत्यता और वैधता पर आपत्ति जताई जाती है तो राज्य प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ (कारण सहित आदेश) जारी करेगा।

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