Cash for Job Scam: ईडी ने गवाहों के बयान किए दर्ज, पुलिस से मांगी जानकारी; फिर तेज हुई सियासी उठापटक

Goa Politics: कैश फॉर जॉब घोटाले पर सियासी उठापटक का दौर अभी थमा नहीं है। एक तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक युद्ध और तेज हो गया है। विपक्षी दलों के नेता इस मामले की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं।

प्रवर्तन निदेशालय। (फाइल फोटो)

Goa: गोवा के कैश फॉर जॉब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं। ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई कार्रवाई का हिस्सा हैं। इस घोटाले की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने एक प्रवर्तन केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ECIR) भी दर्ज की है। ईडी ने गोवा पुलिस से इस मामले की विस्तृत जानकारी मांगी है। बता दें, पुलिस ने दक्षिण और उत्तर गोवा के कई क्षेत्रों में 33 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। इनमें 13 एफआईआर दक्षिण गोवा, जबकि 20 से अधिक उत्तर गोवा में दर्ज FIR शामिल हैं।

कैसे सामने आया था गोवा का कैश फॉर जॉब स्कैम?

कैश फॉर जॉब स्कैम इसी साल अक्टूबर में सामने आया था, जब पुलिस की जांच में ये जानकारी सामने आई कि सरकारी नौकरियों का झांसा देकर लोगों को 2014-15 तक धोखा दिया गया था। हालांकि पुलिस का ये कहना है कि इस घोटाले में किसी भी राजनीतिक कनेक्शन का अब तक कोई पता नहीं चला है। मामले में अब तक 21 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं। गोवा के छह तालुका- बिचोलिम, बार्देज, तिसवाड़ी, पोण्डा, मोरमुगांव, और कनाकोना में मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं विपक्ष लगातार गोवा सरकार पर सवाल उठा रहा है। विपक्षी दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगातार गोवा के सीएम से मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के इस्तीफे की मांग कर रहा है। हालांकि सीएम ने ये साफ कह दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी। राजनीतिक उठापटक के चलते ये मामला अब भी सुर्खियों में है।

सरकारी नौकरी दिलवाने के बहाने करोड़ों रुपये ठगने का आरोप

पूजा नाइक पर जब राज्यभर में कई लोगों को सरकारी नौकरी दिलवाने के बहाने करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप लगा, तो यह घोटाला तब उजागर हुआ था। इसके बाद, दीपाश्री गावस, सुनिता पावस्कर, प्रिय यादव, श्रुति प्रभुगांवकर और उमा पाटिल जैसे आरोपियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए। पुलिस एक्शन में आ गई और इस मुद्दे पर सियासत भी तेज होने लगी। देखते ही देखते इस घोटाले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई और विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुट गया।

End Of Feed