मणिपुर में खून के एक-एक कतरे का हिसाब करेगी CBI, डीआईजी रैंक की दो महिला अफसर समेत उतारे 53 अधिकारी

Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा और महिलाओं के साथ अमानवीय अपराधों के सिलसिले में 6500 से अधिक FIR दर्ज की गई है। इसमें से 11 संगीन मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया है। सीबीआई ने जांच के लिए 53 अधिकारियों को कमान सौंपी है। इसमें 29 महिला अधिकारी भी शामिल हैं।

Manipur Violence

मणिपुर हिंसा

Manipur Violence: मणिपुर में बीते तीन महीनों से हिंसा का दौर जारी है। यहां सैकड़ों जानें जा चुकी हैं और हजारों घर जलाए गए हैं। हिंसा को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद और लाल किले से मणिपुर में शांति की अपील कर चुके हैं। इस बीच अब मणिपुर में हर एक हिंसा का हिसाब करने के लिए सीबीआई को उतारा गया है।

सीबीआई जांच के दायरे में आए 11 मामलों में सीबीआई ने डीआईजी स्तर के तीन अधिकारियों के साथ 53 अधिकारियों को जांच की की कमान सौंपी है। इसमें दो महिला डीआईजी रैंक की अधिकारी समेत 29 महिला अधिकारी भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद CBI को सौंपी गई जांच

मणिपुर में हिंसा और महिलाओं के साथ अमानवीय अपराधों के सिलसिले में 6500 से अधिक FIR दर्ज की गई है। इसमें से 11 संगीन मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया है। दरअसल, केंद्र और मणिपुर सरकार ने इन मामलों को मणिपुर पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने की बात सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार कर ली थी। बता दें, मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की जान गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। वहीं हजारों घरों को जलाया गया है।

प्रधानमंत्री ने लाल किले से किया था मणिपुर का जिक्र

बता दें, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से मणिपुर हिंसा का जिक्र किया था। ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि पिछले दिनों मणिपुर में हिंसा का दौर चला। मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ, लेकिन आज वहां स्थिति सामान्य हो रही है। शांति लौट रही है। उन्होंने कहा, केंद्र और राज्य सरकारें शांति बहाली के लिए काम कर रही हैं। देश मणिपुर के लोगों के साथ है। मणिपुर में शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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