मोदी जी को फंसाने के लिए CBI ने बनाया था दबाव, अमित शाह बोले- हमने तो हंगामा नहीं किया

Misuse of CBI ED: आम जनता अब सवाल पूछती है कि क्या वास्तव में सीबीआई और ईडी पर बेजा दबाव डाला जाता है। दरअसल इसके पीछे तथ्य यह है कि जो सत्ता पक्ष में होता है उनके लिए केंद्रीय एजेंसिया गाय की तरह नजर आती हैं। लेकिन विपक्ष का तमगा लिखने के बाद सुर बदल जाते हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने यूपीए शासन के दौरान सीबीआई के बेजा इस्तेमाल की जिक्र किया।

amit shah gangtok

अमित शाह,गृहमंत्री

Misuse of CBI ED: सीबीआई और ईडी का बेजा इस्तेमाल किया जाता है। यह वाक्य सार्वभौमिक इस नजरिए से है क्योंकि विपक्ष के नेता इस वाक्य जिक्र करते ही रहते हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद सुर बदल जाते हैं, मसलन ईडी और सीबीआई निष्पक्ष एजेंसी है, सरकार की भूमिका की नहीं होती। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यूपीए के शासन के दौरान सीबीआई लगातार उन पर दवाब बना रही थी कि वो गुजरात में फेक एनकाउंटर के संबंध में नरेंद्र मोदी को फंसाने वाली बात कहें। लेकिन बीजेपी ने कभी हंगामा नहीं मचाया।सूरत की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता अकेले राजनेता नहीं हैं जिन्हें अदालत ने दोषी ठहराया और विधानमंडल की सदस्यता खो दी।

उच्च न्यायालय क्यों नहीं जाते राहुल गांधी

उच्च न्यायालय में जाने के बजाय राहुल गांधी शोर मचाने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी किस्मत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोष दे रहे हैं।श्री शाह ने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने की कोशिश करने के बजाय अपना केस लड़ने के लिए उच्च न्यायालय जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गलतफहमियां फैला रही है। अगर अदालत फैसला करती है तो सजा पर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील नहीं की है। यह किस तरह का अहंकार है? आप एहसान चाहते हैं। आप सांसद बने रहना चाहते हैं और अदालत के समक्ष भी नहीं जाएंगे, ऐसा अहंकार कहां से पैदा होता है।

इन लोगों की भी गई थी सदस्यता

लालू प्रसाद, जे जयललिता और राशिद अल्वी सहित 17 प्रमुख नेताओं ने यूपीए सरकार के दौरान 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के कारण अपनी सदस्यता खो दी थी, जिसमें कहा गया था कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि सजा के तुरंत बाद अपनी सीट खो देगा। फिर भी, किसी ने काले कपड़े पहनकर विरोध नहीं किया क्योंकि यह "देश का कानून" है।उन्होंने कहा, "राहुल गांधी का पूरा भाषण सुनिए, उन्होंने न केवल मोदी जी के लिए अपशब्द बोले हैं, उन्होंने पूरे मोदी समुदाय और ओबीसी समाज के लिए भी अपशब्द बोले हैं।"शाह ने कहा, "देश का कानून स्पष्ट है। प्रतिशोध की राजनीति का कोई सवाल ही नहीं है। यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है, जो उनकी सरकार के दौरान आया था।"

बंगले के लिए विशेष अपील क्यों

अपने बंगले को खाली करने के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर अमित शाह ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सजा के प्रभाव में आते ही कार्रवाई करने की बात कही है तो विशेष अनुग्रह क्यों किया जाना चाहिए। यह राहुल गांधी द्वारा जानबूझकर दिया गया बयान था। अगर राहुल गांधी माफी नहीं मांगना चाहते थे, तो उन्हें जमानत के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए था। उन्हें माफी नहीं मांगनी चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि यह सज्जन पहले व्यक्ति नहीं हैं। बहुत बड़े पदों पर आसीन और अधिक अनुभव रखने वाले राजनेता इस प्रावधान के कारण अपनी सदस्यता खो चुके हैं। क्या भारत के लोकतंत्र को तब खतरा नहीं था जब लालू जी को अयोग्य ठहराया गया था बल्कि यह तभी खतरे में है जब गांधी परिवार के एक व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया गया है।अब यह उन पर आ गया है, इसलिए वे कह रहे हैं कि गांधी परिवार के लिए एक अलग कानून बनाएं। मैं इस देश के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या एक परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका नहीं

वरिष्ठ वकील जो राज्यसभा में कांग्रेस सांसद हैं उन्हें अपने सहयोगियों को बताना चाहिए कि अयोग्यता में लोकसभा अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। यह देश का कानून है कि संसद में उनके सभी भाषणों को उनकी सजा के क्षण से रिकॉर्ड से मिटाना होगा। भले ही उनकी अयोग्यता का नोटिस कुछ दिनों बाद दिया गया हो, इसका कोई उद्देश्य नहीं होगा।श्री शाह ने कहा कि भाजपा सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बदलाव नहीं चाहती है। मनमोहन सिंह सरकार शीर्ष अदालत के आदेश को कुंद करने के लिए एक अध्यादेश लाई। लेकिन राहुल गांधी ने इसे बकवास कहते हुए फाड़ दिया था।एक बार जब उन्होंने इसे फाड़ दिया, तो उनकी सरकार में किसने इसे कानून में बदलने की हिम्मत की होगी? इसे वीटो कर दिया गया था। अगर वह अध्यादेश कानून बन जाता, तो उसे बचाया जा सकता था।सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, गृह मंत्री ने कहा कि वीर सावरकर एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें अंडमान जेल में दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था।राहुल गांधी को वीर सावरकर पर अपनी दादी का भाषण पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी अपनी पार्टी के लोग उन्हें सावरकर के खिलाफ नहीं बोलने की सलाह दे रहे हैं।

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया में कार्य करने का अनुभव है।और देखें

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