Rotomac Global पर CBI का चाबुक! 750 करोड़ के फ्रॉड में डायरेक्टर्स के खिलाफ केस; समझें- क्या है पूरा मामला?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश (UP) के कानपुर (Kanpur) की इस कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) के नेतृत्व वाले सात बैंकों के गठजोड़ (कंसोर्टियम) का कुल 2,919 करोड़ रुपए का बकाया है। इसी बकाए में इंडियन ओवरसीज बैंक का हिस्सा 23 फीसदी है।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
पेन और पेंसिल बनाने वाली रोटोमैक ग्लोबल (Rotomac Global) कंपनी और उसके निदेशकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बुधवार (16 नवंबर, 2022) को देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) से जुड़े कथित तौर पर 750 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े के मामले में कंपनी और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। यह जानकारी मामले से जुड़े अफसरों की ओर से समाचार एजेंसी पीटीआई को दी गई है।
दरअसल, मूल रूप से उत्तर प्रदेश (UP) के कानपुर (Kanpur) की इस कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) के नेतृत्व वाले सात बैंकों के गठजोड़ (कंसोर्टियम) का कुल 2,919 करोड़ रुपए का बकाया है। इसी बकाए में इंडियन ओवरसीज बैंक का हिस्सा 23 फीसदी है।
जांच एजेंसी ने कंपनी और उसके निदेशकों साधना कोठारी और राहुल कोठारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश (120-बी) और धोखाधड़ी (420) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। बैंकों के गठजोड़ के सदस्यों की शिकायतों के आधार पर कंपनी पहले से ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में है।
सीबीआई को अपनी शिकायत में इंडियन ओवरसीज बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी को 28 जून, 2012 को 500 करोड़ रुपये की गैर-कोष आधारित राशि सीमा स्वीकृत की गई थी। वहीं, 750.54 करोड़ रुपए की बकाया राशि में चूक के बाद खाते को 30 जून, 2016 को गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था। बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी की विदेशी व्यापार जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने 11 साख पत्र (एलसी) जारी किए थे। ये सभी पत्र ट्रांसफर कर दिए गए थे, जो 743.63 करोड़ रुपये के बराबर है।
बैंक का आरोप है कि दस्तावेजों के अभाव में लदान के बिलों में दावा किए गए व्यापारिक जहाज और यात्राओं की प्रामाणिकता पर संदेह है। बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में बही-खाते में कथित हेरफेर और एलसी से उत्पन्न होने वाली देनदारियों का खुलासा न करने के संकेत मिले थे। ऑडिट में लेखापरीक्षा में बिक्री अनुबंधों, लदान के बिलों और संबंधित यात्राओं में भी अनियमितताएं पाई गई हैं। कहा गया है कि कुल की 92 प्रतिशत यानी 26,143 करोड़ रुपये की बिक्री एक ही मालिक और समूह के चार पक्षों को की गई।
बैंक ने आरोप लगाया कि इन पक्षों या पार्टियों को प्रमुख आपूर्तिकर्ता रोटोमैक समूह था। वहीं इन पक्षों की ओर से खरीद करने वाला बंज ग्रुप था। रोटोमैक समूह को उत्पादों की बिक्री करने वाला प्रमुख विक्रेता बंज ग्रुप था। इन चारों विदेशी ग्राहकों का समूह के साथ संबंध था। कंपनी ने कथित रूप से बैंक के साथ धोखाधड़ी की और धन को इधर-उधर किया। इससे बैंक को वित्तीय नुकसान हुआ और कंपनी ने खुद गलत तरीके से 750.54 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। अभी इसकी वसूली नहीं हो सकी है।
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