बोफोर्स मामले में CBI ने अमेरिका को न्यायिक अनुरोध पत्र भेजा, हर्शमैन के खुलासे के बाद उठाया कदम
Letter of Rogatory: CBI ने अमेरिका को बोफोर्स घोटाले के मामले में अनुरोध पत्र (Letter of Rogatory) भेजा है।

बोफोर्स मामले में CBI ने अमेरिका को न्यायिक अनुरोध भेजा
Bofors Case: बोफोर्स घोटाले की जांच कर रही CBI ने अमेरिका को अनुरोध पत्र (Letter of Rogatory) भेजा है। जानकारी के अनुसार, इस अनुरोध पत्र में निजी जासूस माइकल हर्शमैन को ढूंढने और उनसे पूछताछ की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की गई है। बता दें, एक न्यूज चैनल पर माइकल हर्शमैन ने दावा किया था कि वे 64 बोफोर्स तोप घोटाले की जांच में मदद कर सकते हैं। ये घोटाला 1980 के दशक के सामने आया था जिसमें राजीव गांधी सरकार पर घोटाले के आरोप लगे थे।
बता दें, सीबीआई ने पहले ही एक विशेष अदालत को इस घटनाक्रम के बारे में सूचित किया था, जो मामले में आगे की जांच के लिए एजेंसी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। अधिकारियों ने बताया था कि ‘लेटर रोगेटरी’ (एलआर) भेजने की प्रक्रिया इस वर्ष अक्टूबर में शुरू की गई थी और अमेरिका को औपचारिक अनुरोध भेजने में लगभग 90 दिन लगने की संभावना है, जिसका उद्देश्य कथित रिश्वत मामले की आगे की जांच के लिए सूचना प्राप्त करना है। बता दें, लेटर रोगेटरी एक लिखित अनुरोध है जो एक देश की अदालत द्वारा किसी आपराधिक मामले की जांच या अभियोजन में सहायता प्राप्त करने के लिए दूसरे देश की अदालत को भेजा जाता है।
1437 करोड़ रुपये के सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत से जुड़ा है मामला
जानकारी के लिए बता दें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस मामले में बरी कर दिया था। उसने एक साल बाद राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में हिंदुजा बंधुओं सहित शेष आरोपियों के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। इतालवी व्यवसायी एवं कथित तौर पर रिश्वत मामले में बिचौलिये ओत्तावियो क्वात्रोची को 2011 में एक अदालत ने बरी कर दिया था। अदालत ने सीबीआई को उनके खिलाफ अभियोजन वापस लेने की अनुमति दी थी। यह मामला 1980 के दशक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान स्वीडन की कंपनी ‘बोफोर्स’ के साथ 1437 करोड़ रुपये के सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से जुड़ा है। यह सौदा 400 हॉवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए किया गया था, जिसने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह मामला 2011 में बंद कर दिया गया था।
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शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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