कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में आज SC में रिपोर्ट दाखिल करेगी CBI, संदीप घोष से लगातार छठे दिन पूछताछ

अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और हमले को लेकर आज बंगाल सरकार भी जांच की स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करेगी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को आरजी कर अस्पताल प्रशासन की गंभीर खामियों को उजागर करते हुए बलात्कार-हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

कोलकाता केस में सुनवाई

मुख्य बातें
  • महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की जांच पर प्रगति रिपोर्ट आज सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी सीबीआई
  • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने 20 अगस्त को मामले की सुनवाई की थी
  • 31 वर्षीय स्नातकोत्तर महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के क्रूर बलात्कार और हत्या से देश भर में आक्रोश और विरोध प्रदर्शन

Kolkata Rape-Murder Probe Repor: केंद्रीय जांच ब्यूरो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की जांच पर प्रगति रिपोर्ट आज सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 20 अगस्त को मामले की सुनवाई की थी। 31 वर्षीय स्नातकोत्तर महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के क्रूर बलात्कार और हत्या ने देश भर में आक्रोश और विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है। इसे लेकर बंगाल सहित कई राज्यों में अभी की डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

मंगलवार की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बर्बरता को रोकने में विफल रहने के लिए बंगाल सरकार और पुलिस की खिंचाई की। अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और हमले को लेकर आज बंगाल सरकार भी जांच की स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करेगी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को आरजी कर अस्पताल प्रशासन की गंभीर खामियों को उजागर करते हुए बलात्कार-हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

शीर्ष अदालत ने मंगलवार की सुनवाई में बलात्कार-हत्या से निपटने के तरीके पर बंगाल सरकार द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को फटकार लगाई। पीठ ने एफआईआर दर्ज कराने में देरी के लिए अस्पताल के अधिकारियों और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की खिंचाई की और पूछा कि दाह संस्कार के तीन घंटे बाद ऐसा क्यों किया गया। इसके अलावा पीठ ने पीड़िता के माता-पिता को उसका शव देखने से पहले तीन घंटे तक इंतजार कराने के लिए अधिकारियों की भी आलोचना की।

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