AMU पर सरकार की दलील-अल्पंसख्यक संस्थान नहीं हो सकता विश्वविद्यालय, फिर SC ने दिया अनुच्छेद 30 का हवाला
Aligarh Muslim University : वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने केंद्र की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार एएमयू के इतिहास को नजरंदाज करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान पहले मोहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज था जिसे एएमयू में बदला गया।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर एससी में सुनवाई।
Aligarh Muslim University : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक संस्थान होने या नहीं होने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि इस संस्थान की स्थापना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के तर्ज पर हुई और इसका एक राष्ट्रीय चरित्र है। इसलिए इसे किसी खास धर्म विशेष का संस्थान नहीं कहा जा सकता।
सरकार ने अजीज बाशा फैसले का जिक्र किया
सरकार ने अपना पक्ष महाधिवक्ता तुषार मेहता के जरिए अपने लिखित बयान में रखा। उन्होंने इस विवाद को 'राष्ट्रीय हित बनाम एक वर्ग के हित' के रूप में रखा। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 1967 के सुप्रीम कोर्ट के अजीज बाशा फैसले का जिक्र किया। सरकार ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि विश्वविद्यालय अपने लिए अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे की मांग नहीं कर सकता।
'अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता AMU'
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस जेबी परदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा एवं जस्टिस सतीश शर्मा की पीठ के समक्ष अपनी दलील रखते हुए केंद्र ने कहा, 'एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है और यह किसी खास धर्म का या धार्मिक प्रभुत्व रखने वाला संस्थान नहीं हो सकता। संविधान के तहत घोषित कोई भी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का होता है। इस परिभाषा के अनुसार एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता।'
एएमयू के इतिहास को नजरंदाज करना चाहती है सरकार-धवन
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने केंद्र की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार एएमयू के इतिहास को नजरंदाज करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान पहले मोहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज था जिसे एएमयू में बदला गया। इसके लिए मुस्लिम समुदाय ने काफी प्रयास किया। इस समुदाय संस्थान के लिए 30 लाख रुपए की रकम जुटाई जिसके बाद 1920 में एएमयू की स्थापना हुई।
'आरक्षण से छात्रों को वंचित रखना चाहता है AMU'
सरकार का कहना है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग यूजीसी एक्ट से बचने की एक कोशिश है। संस्थान एससी, एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को दाखिले में उनके आरक्षण एवं विभिन्न पदों पर नियुक्तियों में कोटा से वंचित रखना चाहता है।
पीठ ने अनुच्छेद 30 का जिक्र किया
इस दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों वाली संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 30 का जिक्र किया, जो शिक्षण संस्थानों की स्थापना और उनके संचालन के अल्पसंख्यकों के अधिकारों से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 30 को प्रभावी बनाने के लिए किसी अल्पसंख्यक समूह को इस तरह के दर्जे का दावा करने के लिए स्वतंत्र प्रशासन की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत में बुधवार को भी इस मामले की सुनवाई होगी और धवन अपना पक्ष रखेंगे।
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