कोविड वैक्सीन से होने वाली मौत के जिम्मेदार नहीं, जानें-सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के जरिए कोविड वैक्सीन से होने वाली मौतों के संबंध में अपना पक्ष रखा है। केंद्र का कहना है कि पीड़ित पक्ष सिविल कोर्ट के जरिए हर्जाने की अपील कर सकता है।
कोविड वैक्सीनेशन पर उठे सवाल
- सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा
- वैक्सीन से होने वाली मौत के लिए जिम्मेदार नहीं
- दो लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि कोविड वैक्सीन से होने वाली मौतों के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। पीड़ित पक्ष सिविल कोर्ट में हर्जाने के लिए अपील कर सकता है।एईएफआई के आंकड़े देते हुए सरकार ने कहा कि कुल प्रशासित खुराक की तुलना में यह बहुत कम है।हलफनामे में कहा गया है कि 19 नवंबर, 2022 तक देश में दी गई कोविड-19 टीकों की 219.86 करोड़ खुराक में से 92,114 एईएफआई की रिपोर्ट है।"इसमें से 89,332 (0.0041%) मामूली एईएफआई थे, जबकि केवल 2,782 (0.00013%) मौत सहित गंभीर या गंभीर एईएफआई के परिणाम थे।केंद्र ने यह कहते हुए एक कैविएट जोड़ा कि सभी गंभीर/गंभीर AEFI का कार्य-कारण विश्लेषण अभी भी लंबित था इसलिए यह सुझाव देना जल्दबाजी होगी कि इसे सीधे तौर पर वैक्सीन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
क्या है मामला
पहली याचिकाकर्ता रचना गंगू की बेटी को पिछले साल 29 मई को कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी और एक महीने के भीतर 19 जून को उसकी मौत हो गई। इसके अलावा दूसरे याचिकाकर्ता वेणुगोपालन गोविंदन की बेटी ने पिछले साल 18 जून को कोविशील्ड का पहला डोज लिया था और 10 जुलाई को मौत हो गई थी। केंद्र की तरफ से दायर हलफनामे में बताया गया है कि मृतक में पहले थ्रांबोसिस और टीटीएस के लक्षण देखे गए जो कि वैश्विक स्तर पर एईएफआई से जुड़ा दुर्लभ मामला है। भारत में 30 सितंबर तक एईएफआई से संबंधित कुल 30 मामले सामने आए हैं जिसमें 12 की मौत हुई है। अगर इसकी तुलना कनाडा(105) और ऑस्ट्रेलिया(173) से करे तो कम है। याचिकाकर्ता ने पिछले साल 14 और 16 जुलाई को पीएमओ तक अपनी गुहार लगाई थी। लेकिन जवाब नहीं मिला। हालांकि केंद्र का जवाब था कि दिसंबर 2021 और मार्च 2022 में जवाब दिया गया था।
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