होमलाइव टीवीcitiesशहर फोटोजअगली
खबर

Harsh! 'दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध काफी कठोर', केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

केंद्र ने दोषी विधायकों को आजीवन अयोग्य ठहराए जाने का विरोध किया है, केंद्र ने तर्क दिया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के विवादित प्रावधान 'आनुपातिकता और तर्कसंगतता' (proportionality and reasonability) के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

supreme courtsupreme courtsupreme court

सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने दोषी विधायकों पर चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि 'अनुचित कठोरता' से बचने के लिए दंड के प्रभाव को समय तक सीमित करने में कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। केंद्र ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत हलफनामे में दोषी विधायकों को उनकी जेल की सजा पूरी होने के बाद छह साल तक अयोग्य ठहराए जाने की सीमा तय करने वाले मौजूदा कानूनी प्रावधानों का बचाव करते हुए तर्क दिया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के विवादित प्रावधान 'आनुपातिकता और तर्कसंगतता' के सिद्धांतों पर आधारित हैं और संसद, विशेष कानून बनाने वाले प्राधिकरण के रूप में, दोषी विधायकों के लिए अयोग्यता या दंड की अवधि तय करने का विवेकाधिकार रखती है।

केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, 'संसदीय नीति के अनुसार, आरोपित धाराओं के तहत की गई अयोग्यताएं समय तक सीमित हैं, और इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता की समझ को प्रतिस्थापित करना और आजीवन प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।'

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका का जवाब देते हुए हलफनामे में कहा गया है- 'याचिकाकर्ता जिस राहत की मांग कर रहा है, वह प्रावधान को फिर से लिखने के समान है क्योंकि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 की सभी उप-धाराओं में प्रभावी रूप से ‘छह वर्ष’ के बजाय ‘आजीवन’ पढ़ने की मांग करता है।'

End Of Feed