केंद्र ने CAA के तहत बंगाल में शुरू किया नागरिकता प्रमाणपत्र देने का सिलसिला, BJP-TMC में मचा संग्राम
यह कानून पूरे भारत में गहन बहस और व्यापक विरोध का विषय रहा है। इसे लेकर दिल्ली से लेकर बंगाल तक विरोध-प्रदर्शनों का दौर चला है। केंद्र सरकार के फैसले का पूरे विपक्ष ने पुरजोर विरोध किया।
बंगाल में दिए गए नागरिकता प्रमाणपत्र
CAA in Bengal: केंद्र सरकार ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 (CAA) के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। राज्य के आवेदकों के पहले समूह को अधिकार प्राप्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की गई। हरियाणा और उत्तराखंड की अधिकार प्राप्त समितियों ने भी बुधवार को सीएए के तहत आवेदकों के पहले समूह को नागरिकता प्रदान की।
पहला सेट 15 मई को जारी
सरकार ने 11 मार्च, 2024 को नागरिकता (संशोधन) नियमों को अधिसूचित किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियमों की अधिसूचना दिसंबर 2019 में संसद द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित होने के चार साल बाद आई। नियमों को अधिसूचित किए जाने के दो महीने बाद सीएए के तहत नागरिकता प्रमाणपत्र का पहला सेट 15 मई 2024 को 14 लोगों को जारी किया गया था।
ऐसे लोगों को मिलती है नागरिकता
सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों के प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्रदान करने में तेजी के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है। नागरिकता ऐसे लोगों को मिलती है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले अपने देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के कारण भारत पहुंचे हैं।
कानून का पूरे भारत में हुआ विरोध
यह कानून पूरे भारत में गहन बहस और व्यापक विरोध का विषय रहा है। इसे लेकर दिल्ली से लेकर बंगाल तक विरोध-प्रदर्शनों का दौर चला है। केंद्र सरकार के फैसले का पूरे विपक्ष ने पुरजोर विरोध किया। लेकिन सरकार अपने फैसले पर कायम रही और सीएए के तहत नागरिकता देने का सिलसिला अब तेजी पकड़ चुका है। बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने सीएए के कार्यान्वयन पर अपना कड़ा विरोध जताया है। ममता बनर्जी ने सीएए को मानवता का अपमान और राष्ट्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए खतरा बताया।
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अमित कुमार मंडल author
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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