मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बता दिया अपना पक्ष, कहा- यह मुद्दा कानूनी से ज्यादा सामाजिक

जनवरी 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद की वैधता पर सवाल उठाने वाली कई याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था। अदालत ने मई 2023 में नए अधिनियमित बीएनएस में प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इसी तरह का नोटिस जारी किया।

मैरिटल रेप पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

मुख्य बातें
  • मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब
  • इससे वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है-केंद्र
  • विवाह संस्था में गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है- केंद्र


केंद्र सरकार ने मैरिटल रेप पर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। केंद्र सरकार मैरिटल रेप को अपराध मानने के पक्ष में नहीं दिख रही है। केंद्र ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार की शिकार महिलाओं के लिए अन्य कानूनों में भी उपाय मौजूद है। यह मुद्दा एक कानूनी से ज्यादा सामाजिक है। सरकार ने बताया कि आईपीसी में 2013 के संशोधनों के दौरान संसद ने इस मुद्दे पर सावधानीपूर्वक विचार किया था और वैवाहिक बलात्कार अपवाद को बरकरार रखने का विकल्प चुना था। केंद्र ने तर्क दिया कि अपवाद को खत्म करने के किसी भी कदम का भारत में विवाह संस्था पर गहरा असर पड़ेगा।

केंद्र ने अपने जवाब में क्या-क्या कहा

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संवैधानिक वैधता के आधार पर आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को खत्म करने से विवाह संस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इससे वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है और विवाह संस्था में गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- "तेजी से बढ़ते और लगातार बदलते सामाजिक और पारिवारिक ढांचे में, संशोधित प्रावधानों के दुरुपयोग से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि किसी व्यक्ति के लिए यह साबित करना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होगा कि सहमति थी या नहीं।"
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