ये हैं चंद्रयान-3 को मुकाम तक पहुंचाने वाले चार 'चाचा चौधरी', सुपर कंप्यूटर से भी तेज चलता है दिमाग
Chandrayaan-3 Core Team: पूरी दुनिया चंद्रयान-3 मिशन की कोर टीम से भी मिलना चाहती है, जिन्होंने चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराकर एक सपने को साकार कर दिया है। आइए आपको मिलवाते हैं उन सुपर साइंटिस्ट्स से, चंद्रयान-3 के पीछे लगा है जिनका दिमाग...
चंद्रयान-3
Chandrayaan-3 Core Team: 23 अगस्त की शाम जैसे-जैसे सूरज धरती से ढलकर चांद पर उग रहा था, लोगों की धड़कनें तेज होती जा रही थीं। सूरज के रोशनी जब ठीक तरह से चांद पर पहुंची तभी इसरो ने दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान को लैंड कराकर इतिहास रच दिया। इसी के साथ भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है।
बुधवार की शाम 5 बजकर 44 मिनट पर इसरो ने लैंडिंग प्रोसेस शुरू किया। इसका लाइव प्रसारण भी किया गया। अगले 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से चांद की जमीन तक का 25 किमी का सफर पूरा किया और ठीक 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा। इस ऐतिहासिक मौके पर एक तरफ जहां दुनिया भारत को बधाई भेज रही तो दूसरी तरफ दुनिया चंद्रयान-3 मिशन की कोर टीम से भी मिलना चाहती है, जो एक सपने को साकार करने जा रहे हैं। ऐसे में आइए आपको मिलवाते हैं उन सुपर साइंटिस्ट्स से, जिनका दिमाग सुपर कम्प्यूटर से भी तेज चलता है।
ISRO चीफ एस सोमनाथ
चंद्रयान-3 मिशन के पीछे इसरो चीफ एस सोमनाथ का खास दिमाग लगा है। पिछले साल जनवरी में उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभाली थी। उन्हें भारत के ऐतिहासिक चंद्र मिशन के पीछे प्रमुख व्यक्तियों में से एक माना जाता है। सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) और लिक्विड प्रोपल्सन सिस्टम सेंटर के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है। चंद्रयान-3 के साथ-साथ अन्य प्रमुख मिशन जैसे आदित्य-एल1 और गगनयान (भारत का पहला मानवयुक्त मिशन) उनकी देखरेख में हैं।
पी वीरमुथुवेल
पी वीरमुथुवेल चंद्रयान-3 के प्राजेक्ट डायरेक्टर हैं। उन्होंने 2019 में यह कार्यभार ग्रहण किया था। इससे पहले उन्होंने इसरो के मुख्य कार्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के रूप में काम किया था। उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वीरमुथुवेल तमिलनाडु के विल्लुपुरम से हैं और आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र हैं।
एस उन्नीकृष्णन नायर
एस उन्नीकृष्णन नायर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के डायरेक्टर हैं। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मार्क-III को केरल के तिरुवनंतपुरम के थुंबा में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) द्वारा विकसित किया गया था। वीएसएससी के प्रमुख होने के नाते, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न प्रमुख कार्यों के प्रभारी हैं।
एम शंकरन
एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में निदेशक हैं और उन्होंने जून, 2021 में यह भूमिका निभाई। यह केंद्र इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। फिलहाल, वह उस टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और यहां तक कि अन्य ग्रहों की खोज में देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपग्रह बनाती है।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author
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