इंडिया अंतरिक्ष में इतिहास लिखने के और करीबः दूसरी 'डिबूस्टिंग' के बाद आत्मनिर्भर होगा 'विक्रम', अपने 'दिमाग' से चलेगा आगे
Chandrayaan-3 Mission Latest Update: लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल 20 अगस्त को दूसरी ‘डीबूस्टिंग’ (गति कम करने की प्रक्रिया) से गुजरेगा, जिसके तहत इसे एक कक्षा में नीचे लाया जाएगा जिससे यह चंद्रमा की सतह के बहुत करीब हो जाएगा।
23 अगस्त को चांद के दक्षिण ध्रुव पर इसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने का प्रयास किया जाएगा।
Chandrayaan-3 Mission Latest Update: चंद्रयान-3 मिशन के जरिए अपना इंडिया अंतरिक्ष जगत में नया इतिहास लिखने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शुक्रवार (18 अगस्त, 2023) को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को चंद्रमा के करीब ले जाने वाली एक ‘डिबूस्टिंग’ प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई और इसकी स्थिति फिलहाल सामान्य है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से यह भी बताया गया कि ‘‘लैंडर मॉड्यूल की स्थिति सामान्य है। एलएम ने सफलतापूर्वक एक डिबूस्टिंग प्रक्रिया को पूरा किया जिससे अब इसकी कक्षा घटकर 113 किलोमीटर x 157 किलोमीटर रह गई है। दूसरी डिबूस्टिंग प्रक्रिया 20 अगस्त, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात दो बजे की जानी है।’’
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इस बीच, इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल पर लगे कैमरों के जरिए ली गईं चंद्रमा की तस्वीरें शुक्रवार को सार्वजनिक कीं। प्रणोदन (प्रोपल्शन) मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल के बृहस्पतिवार को अलग होने के बाद लिए गए फोटोज़ में चंद्रमा की सतह पर गड्ढे दिखाई दिए, जिन्हें इसरो ने 'फैब्री', 'जियोर्डानो ब्रूनो' और 'हरखेबी जे' के रूप में चिह्नित किया।
चूंकि, विक्रम चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग से सिर्फ पांच रोज दूर है। गति कम करने के प्रोसेस के बाद यह लैंडर अपने हिसाब से काम करेगा। के सिवन के अनुसार, लैंडर में ऑटोमैटिक मोड में डेटा है, जो कि अपने इंटेलिजेंस के आधार पर फैसला लेगा कि उसे कैसे काम करना है। यानी सरल शब्दों में समझें तो वह एक तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा और अपने हिसाब से आगे बढ़ेगा।
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वैसे, चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल एक रोज पहले 17 अगस्त, 2023 को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे और चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। हालांकि, इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने बताया था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह ‘‘प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी।’’
दरअसल, मिशन के तहत लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल 20 अगस्त को दूसरी ‘डिबूस्टिंग’ (गति कम करने की प्रक्रिया) से गुजरेगा, जिसके तहत इसे एक कक्षा में उतारा जाएगा जो इसे चंद्रमा की सतह के बहुत करीब ले जाएगा, जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को होने की उम्मीद है। अगर यह लैंडिंग सफल रही तो भारत निःसंदेह स्पेस में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर देगा। (ANI, PTI & Bhasha इनपुट्स के साथ)
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