Chandrayaan-3 Landing: बस एक चूक तोड़ सकती है 140 करोड़ लोगों का दिल, चंद्रयान-3 के लिए आखिरी 2KM कितने अहम?

Chandrayaan-3 Landing: चंद्रयान-3 के लिए आखिरी दो किलोमीटर सबसे अहम हैं। यहीं पर चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग करने से चूक गया था। सॉफ्ट लैंडिंग के समय थ्रस्टर, सेंसर, अल्टीमीटर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और बाकी सभी चीजों का काम करना जरूरी है। कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।

चंद्रयान-3

Chandrayaan-3 Landing: चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव रहस्यों से भरा हुआ है। इन्हीं रहस्यों और अबूझ पहेलियों का पता लगाने के लिए चंद्रयान-3 इस हिस्से में लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इंतजार बस 23 अगस्त का है, जब घड़ी की सुईयां शाम को 6 बजकर 4 मिनट का संकेत देंगी। यह वही समय है, जब इसरो का चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुुव पर उतरेगा। इसके बाद भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। दरअसल, चांद के इस हिस्से में आज तक कोई भी देश अपने चंद्र मिशनों की लैंडिंग नहीं करा पाया है। रविवार को इसी कोशिश में रूस का लूना-25 भी क्रैश हो गया था।

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए सभी चीजों का एक साथ काम करना बेहद अहम है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर के मुताबिक, चंद्रयान-3 के टचडाउन बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और सभी को सतर्क रहना होगा, क्योंकि इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि सभी प्रणाली एकसाथ काम करें।

आखिरी 2 किलोमीटर में टूटा था सपना

वरिष्ठ वैज्ञानिक जी. माधवन नायर का कहना है कि चंद्रमा की सतह के ऊपर आखिरी दो किलोमीटर सबसे अहम हैं। यहीं पर चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग करने से चूक गया था और 140 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना भी टूट गया था। उन्होंने कहा, ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें एक साथ काम करना होगा। सॉफ्ट लैंडिंग के समय थ्रस्टर, सेंसर, अल्टीमीटर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और बाकी सभी चीजों का काम करना जरूरी है। कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।

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