चंद्रयान-3 से भेजी गई पृथ्वी और चांद की तस्वीरें हैं अद्भुत, देखकर ISRO पर करेंगे गर्व
14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लैंडर इमेजर (LI)कैमरा ने पृथ्वी की शानदार तस्वीर खींची थी। नजारा बेहद दिलकश था।
Isro moon mission
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 तेजी से चांद की ओर बढ़ रहा है और इसरो लगातार इस पर अपडेट दे रहा है। इसरो ने एक बार फिर लैंडर इमेजर से ली गई दिलकश तस्वीरें शेयर की हैं। इसरो के कैमरों ने ली इसरो ने अपने अत्याधुनिक कैमरों की मदद से इन तस्वीरों को कैद किया था। इसरो ने दोनों तस्वीरों को एक साथ दिखाते हुए ट्वीट किया है। तस्वीरें बता रही हैं कि कैमरा किस कदर उन्नत हैं। बता दें कि चंद्रयान जल्द ही चांद की सतह पर उतरने जा रहा है।
14 जुलाई को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-3
14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लैंडर इमेजर (LI)कैमरा ने पृथ्वी की शानदार तस्वीर खींची थी। नजारा बेहद दिलकश था। इसी तरह 6 अगस्त को लैंडर हॉरिजोन्टल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) ने पहली बार बेहद करीब से ली गई चांद की तस्वीर दिखाई थी। इस तस्वीर में चांद पर बने गड्ढे और ऊबड़-खाबड़ सतह साफ नजर आ रही थी। ये तस्वीर चंद्रयान और इसरो की कामयाबी की ओर पहला कदम था।
बता दें कि भारत का महत्वाकांक्षी तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चांद के और करीब पहुंच गया है। बुधवार को कक्षा में नीचे लाए जाने की एक और सफल प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही चांद की सतह के और नजदीक आ गया। 9 अगस्त की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।
अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के करीब लाने के लिए 14 और 16 अगस्त को दो और प्रक्रियाएं की जाएंगी। फिर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कराया जाएगा। इसरो ने कहा कि अगली प्रक्रिया 14 अगस्त 2023 को पूर्वाह्न 11:30 से अपराह्न 12:30 बजे के बीच निर्धारित है। इसरो ने रविवार को भी चंद्रयान को चांद की कक्षा में नीचे लाए जाने की इसी तरह की प्रक्रिया को अंजाम दिया था। महत्वाकांक्षी मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे कम करने और इसकी स्थिति चंद्र ध्रुवों के ऊपर करने के लिए इसरो द्वारा सिलसिलेवार कवायद की जा रही है।
23 अगस्त को करेगा लैंडिंग
इसरो सूत्रों के मुताबिक, अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के करीब लाने के लिए दो और प्रक्रियाएं की जाएंगी। उन्होंने कहा कि ये प्रक्रियाएं 14 और 16 अगस्त को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचने के लिए की जाएंगी, जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त लैंडिंग मॉड्यूल आगे की प्रक्रिया के तहत प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। इसके बाद, लैंडर के डीबूस्ट (धीमे होने की प्रक्रिया) से गुजरने और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
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अमित कुमार मंडल author
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