Chandrayaan 3: एको अहं द्वितीयो नास्ति! चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, अब दुनिया हमारे पीछे

Chandrayaan 3 Successful Landing: चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई है। इस सफलता के साथ भारत ने अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगा दी है। चंद्रयान-3 की यह सफलता अद्भुत एवं बेमिसाल है। चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने में अब भारतीय वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी।

चंद्रयान-3 की हुई सफल लैंडिंग।

Chandrayaan 3 Successful Landing: भारत ने आज इतिहास रच दिया है। भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंड कर गया है। इसके साथ ही भारत चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' (Soft Landing) करने वाला दुनिया का चौथा और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों की दशकों की कड़ी मेहनत आज रंग लाई है। अगले 14 दिनों तक चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह का वैज्ञानिक परीक्षण करेगा। चंद्रयान-3 के जरिए चांद से जुड़े कई गहरे राज एवं रहस्यों से परदा उठाने में मदद मिलेगी। साथ ही सौरमंडल की उत्पत्ति एवं उसके विकास से जुड़े कई सवालों का जवाब मिलेगा। चंद्रयान-3 की यह सफलता अद्भुत एवं बेमिसाल है। चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने में अब भारतीय वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी।

2008 में शुरू हुआ चंद्रयान मिशन

भारत ने अपना चंद्रयान मिशन 2008 में शुरू किया। भारत के इस पहले मिशन से चांद पर पानी की मौजूदगी के बारे में पता चला। इसके 11 साल बाद इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया। भारत अपने इस मिशन में 90 फीसदी तक सफल हुआ। हालांकि, सात सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 की चंद्रमा 'सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं हो पाई और चांद की सतह से कुछ मीटर की दूरी पर उसका संपर्क इसरो से टूट गया और वह क्रैश लैंड हो गया। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। चंद्रयान-2 की चुनौतियों एवं खामियों से सबक लेते हुए चार साल बाद इसरो एक बार फिर अपने मिशन पर आगे बढ़ा और इस बार चंद्रयान-3 ने चांद पर सफल लैंडिंग करते हुए कीर्तिमान रच दिया।

14 जुलाई को रवाना हुआ चंद्रयान-3

गत 14 जुलाई को चंद्रयान-3 अपने मिशन पर रवाना हुआ। इस दिन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपये की लागत वाला चंद्रयान-3 अपने सफर पर निकला। 41 दिनों की अपनी इस यात्रा में चंद्रयान-3 कई महत्वपूर्ण एवं कक्षा बदलने की कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरा। इससे पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की दौड़ में रूस उस वक्त पीछे छूट गया, जब उसका रोबोट लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
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