इस बार चंद्रमा से नमूने लेकर लौटने की तैयारी, दो बार में चंद्रयान-4 लॉन्च करेगा ISRO

India Chandrayaan-4 Mission: इसरो चीफ एस सोमनाथ ने नेशनल स्पेस साइंस सिम्पोसियम में इस मिशन के बारे में जो जानकारी दी, उसके मुताबिक चंद्रयान-4 के कंपोनेंट में पांच स्पेसक्राफ्ट के मॉड्यूल लगे होंगे।

Chandrayaan 4

अपने चंद्रयान-4 मिशन की तैयारी में जुटा इसरो। -ISRO

India Chandrayaan-4 Mission: चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर इतिहास रचने में जुटा है। वह अपने अगले चंद्र मिशन की तैयारी में है। चंद्रमा पर भारत के इस अगले मिशन का नाम चंद्रयान-4 है। इस मिशन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे एक बार में नहीं बल्कि दो बार में लॉन्च किया जाएगा। दो अलग-अलग लॉन्च वेहिकल से इसे रवाना किया जाएगा। चंद्रयान-4 केवल चंद्रमा पर लैंड ही नहीं करेगा बल्कि उसकी सतह से मिट्टी और पत्थर लेकर वापस पृथ्वी पर लौटेगा।

चंद्रयान-3 से अलग होगी चंद्रयान-4 की बनावट

चंद्रयान-4 की बनावट चंद्रयान-3 से अलग होगी। चंद्रयान-3 में मुख्य रूप से तीन कंपोनेंट-लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल थे जबकि इसमें चंद्रयान-4 में दो और कंपोनेंट (उपकरण) लगे होंगे, ये कंपोनेंट चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करेंगे और उन्हें लेकर वापस पृथ्वी पर आएंगे।

पांच स्पेसक्राफ्ट के मॉड्यूल लगे होंगे

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने नेशनल स्पेस साइंस सिम्पोसियम में इस मिशन के बारे में जो जानकारी दी, उसके मुताबिक चंद्रयान-4 के कंपोनेंट में पांच स्पेसक्राफ्ट के मॉड्यूल लगे होंगे।

प्रोपल्शन मॉड्यूल : चंद्रयान-3 की तरह प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-4 को गाइड करेगा।

डिसेंडर मॉड्यूल-यह मॉड्यूल चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तरह काम करेगा।

एसेंडर मॉड्यूल-चंद्रमा की सतह से नमूने उठाने और उसे अपने पास रखने के बाद एसेंडर मॉड्यूल लैंडर से बाहर निकलकर पृथ्वी की ओर बढ़ेगा।

ट्रांसफर मॉड्यूल-यह एसेंडर मॉड्यूल को लेकर पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलेगा।

री-एंट्री मॉड्यूल-यह चंद्रमा की सतह से नमूने लाने वाला मॉड्यूल होगा जो कि पृथ्वी की सतह पर लैंड करेगा।

LVM-3 से चंद्रयान-4 के तीन कंपोनेंट रवाना होंगे

चंद्रयान-4 के पांच कंपोनेंट एक साथ लॉन्च नहीं होंगे। इसरो चीफ के अनुसार भारत के सबसे भारी लॉन्च वेहिकल LVM-3 से चंद्रयान-4 के तीन कंपोनेंट रवाना किए जाएंगे। ये तीन कंपोनेंट प्रोपल्शन मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल और एसेंडर मॉड्यूल हैं। इसकी लॉन्चिंग ठीक उसी तरह की होगी जैसी कि 2023 में चंद्रयान-3 की हुई थी। ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल (PSLV) से छोड़ा जाएगा। हालांकि, कौन सी लॉन्चिंग पहले होगी इसके बारे में इसरो ने अभी खुलासा नहीं किया है।

मिशन में दो अलग-अलग लॉन्च वेहिकल शामिल होंगे

यह अपने आप में पहली तरह का मिशन है जब एक मिशन को पूरा करने में दो अलग-अलग लॉन्च वेहिकल शामिल किए जाएंगे। भारत अपने मिशन में यदि सफल हो जाएगा तो चंद्रमा की सतह से नमूने धरती पर लाने वाला वह दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इस मिशन को लेकर इसरो आने वाले दिनों में और ज्यादा जानकारी देगा।

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