Coronation: ब्रिटिश महाराजाओं के राज्याभिषेक से है भारत का नाता, जानिए 112 साल पहले क्या हुआ था दिल्ली दरबार में

King Charles III Coronation : ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक की तैयारी पूरी हो चुकी है। आज एबे वेस्टमिंस्टर में दुनिया भर के मेहमानों के सामने ताजपोशी होगी। ऐसे में महाराजा जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक समारोह भारत और ब्रिटेन के पुराने संबंधों की कड़ी को जोड़ता है।

King Charles III Coronation

ब्रिटिश महाराजा चार्ल्स तृतीय का राज्याभिषेक

King Charles III Coronation : ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स III का आज (8 मई) एबे वेस्टमिंस्टर में ऐतिहासिक राज्याभिषेक होगा। इस दौरान वह उस गद्दी पर बैठेंगे जिसका इस्तेमाल 86 वर्ष पहले उनके नाना जॉर्ज-षष्टम की ताजपोशी के समय किया गया था। इसी बीच एक बार फिर कोहिनूर और दिल्ली दरबार की चर्चा होने लगी। औपनिवेशिक इतिहास सामने आने लगे। भारत और ब्रिटेन के पुराने संबंधों की कड़ियों की चर्चा होने लगी। यह समारोह चार्ल्स III के परनाना महाराजा जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक समारोह के 112 साल बाद यह समारोह हो रहा है। महाराजा जॉर्ज पंचम एक मात्र ब्रिटिश राजा थे जो बाद में दिल्ली में अपने राज्याभिषेक दरबार में शामिल होने के लिए भारत आए। इसलिए भारत और ब्रिटेन के पुराने संबंधों की चर्चा होना लाजमी है। कोहिनूर कुछ जवाहरात और दिल्ली दरबार को लेकर फिर से चर्चा होनी शुरू हो गई। जो अब भी ब्रिटेन के शाही परिवार के पास है।

एडवर्ड का मुकुट पहनेंगे किंग चार्ल्स III

महाराजा चार्ल्स तृतीय सेंट एडवर्ड का मुकुट पहनेंगे, जबकि महारानी कैमिला भव्य आयोजन में कोहिनूर के बिना महारानी मैरी का मुकुट (1911 राज्याभिषेक से) पहनेंगी। इस समारोह में पिछले राज्याभिषेक की छवियों की भी झलक मिलेगी - विशेष रूप से 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के राज्याभिषेक की, जिनका भारत के साथ गहरा संबंध था।

महारानी मैरी के ताज में थे ये हीरे

रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार, उनके जून 1911 के राज्याभिषेक के लिए महारानी मैरी का ताज क्राउन ज्वेलर्स, गैरार्ड एंड कंपनी से लिया गया था। वेबसाइट पर क्वीन मैरी क्राउन 1911 के डिटेल के अनुसार, इसमें तीन बड़े हीरे-कोह-ए-नूर, कलिनन 3 और 4 (अफ्रीका के लेसर स्टार्स के रूप में भी जाने जाते हैं) शामिल थे। जिन्हें बाद में क्वार्ट्ज क्रिस्टल प्रतिकृतियों से बदल दिया गया ताकि गहनों को वैकल्पिक सेटिंग्स में इस्तेमाल किया जा सके।

दो वजहों से ऐतिहासिक था 1911 का दिल्ली दरबार

छह महीने बाद, शाही जोड़ा भारत आया और एक शानदार दिल्ली दरबार में शामिल हुआ, जहां उन्हें भारत का महाराजा और महारानी घोषित किया गया। यह (1911 का) दरबार दो वजहों से ऐतिहासिक था। यह एकमात्र दरबार था जिसमें महाराजा ने स्वयं भाग लिया था और यहीं पर शाही राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी।

पहली बार ब्रिटिश सम्राट ने भारतीय धरती पर रखा था कदम

दिसंबर 1911 से जनवरी 1912 तक 5 सप्ताह का शाही दौरा पहला अवसर था जब किसी ब्रिटिश सम्राट ने भारतीय धरती पर पैर रखा था। दिल्ली दरबार, एक औपचारिक सभा थी, जिसने जॉर्ज पंचम के उत्तराधिकार को भारत के महाराजा के रूप में पेश किया। दिल्ली दरबार का आयोजन 12 दिसंबर, 1911 को किया गया था।

दिल्ली दरबार के लिए बनाया गया था नया ताज

रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट के मुताबिक, चूंकि इंग्लैंड से किसी भी शाही निशानी को पोशाक से हटाना कानून के खिलाफ था, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली दरबार के लिए एक नया ताज बनाया जाएगा। गैरार्ड ने इसे डिजाइन किया था। महाराजा जॉर्ज पंचम के लिए, इंपीरियल क्राउन ऑफ इंडिया तैयार किया गया था जबकि महारानी मैरी के लिए, दिल्ली दरबार ताज।

ताज में जड़े गए थे 6100 हीरे

ट्रस्ट की वेबसाइट का कहना है कि इंपीरियल क्राउन ऑफ इंडिया में सोना मढ़ा हुआ चांदी का एक फ्रेम है और इसमें 6,100 हीरों के साथ-साथ पन्ना, नीलम और माणिक भी जड़े हुए हैं। ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली दरबार ताज में मूल रूप से हीरे और पन्ना के आभूषणों से मेल खाने के लिए 10 बड़े पन्ने लगाए गए थे।

कोरोनेशन पार्क बताता है भव्य समारोह की कहानी

विशाल मैदान में 1911 राज्याभिषेक दरबार और उसके पिछले दो संस्करण आयोजित किए गए थे। इस मैदान को आज कोरोनेशन पार्क कहा जाता है। यहां एक शिलास्तंभ भी है जो यहां हुए भव्य समारोह की कहानी बताता है। महाराजा चार्ल्स III राज्याभिषेक समारोह में दुनिया भर से मेहमान जुट रहे हैंऔर विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर इसका प्रसारण किया जाएगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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