Kuno में चीतों की मौतः मोदी के मंत्री ने कहा- पूर्वानुमान था, जो हुआ उसकी लेते हैं जिम्मेदारी, पर...
सरकार और परियोजना में शामिल एक्सपर्ट्स ने कहा है कि मृत्यु दर सामान्य सीमा के अंदर है। वैसे, समिति ने बुधवार को पहली बार बैठक की और जून के तीसरे सप्ताह तक दो मादा सहित सात और चीतों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया।
मार्च और अप्रैल में तीन चीतों की मौत हो गई थी। (फाइल)
तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के मसले पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि वहां जो कुछ भी हुआ उसकी वह जिम्मेदारी लेते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर भी दिया कि चीतों के स्थानांतरण से जुड़ा प्रोजेक्ट सफल साबित होगा। गुरुवार (एक जून, 2023) को यादव ने ‘टाइम्स नेटवर्क’ के इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्वेव कार्यक्रम में बताया, ‘‘यह इंटरनेशनल प्रोजेक्ट है। हमें मृत्यु का पूर्वानुमान था। यह हमारी रिपोर्ट (चीता परियोजना) में भी उल्लेख किया गया। एक चीता भारत आने से पहले ही अस्वस्थ था। हमने दो अन्य (वयस्क) चीतों की मौत के कारण बताए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तीनों शावकों की मौत अत्यधिक गर्मी के कारण हुई। तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया...जो भी हुआ उसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं। हालांकि, परियोजना एक बड़ी सफलता साबित होगी और पूरे देश को इस पर गर्व होगा।’’ दरअसल, कूनो में तीन महीने में तीन चीतों और इतने ही शावकों की मौत हो गई थी। पिछले हफ्ते दो चीता शावकों की मौत के बारे में खबर सामने आने के बाद केंद्र ने चीता परियोजना की प्रगति की समीक्षा और निगरानी के लिए 11 सदस्यों वाली उच्च-स्तरीय कमेटी का गठन किया था।
सरकार और परियोजना में शामिल एक्सपर्ट्स ने कहा है कि मृत्यु दर सामान्य सीमा के अंदर है। वैसे, समिति ने बुधवार को पहली बार बैठक की और जून के तीसरे सप्ताह तक दो मादा सहित सात और चीतों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया। इस बीच, भारत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया की तरह चीतों के आवास स्थल की बाड़बंदी नहीं करना चाहता क्योंकि यह वन्य जीव संरक्षण के मौलिक सिद्धांतों के विपरित है। यह विचार चीतों को देश में दोबारा बसाने की परियोजना की निगरानी करने के लिए सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख ने गुरुवार को रखा।
ध्यान रहे कि पीएम ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो स्थित एक बाड़े में छोड़ा था। ऐसे दूसरे स्थानान्तरण में 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया था। मार्च और अप्रैल में तीन चीतों की मौत हो गई थी। बाकी 17 वयस्क चीतों में से सात को पहले ही जंगल में छोड़ दिया गया। तीन चीतों और नामीबिया की मादा चीता, सिसाया से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत होने के बाद कई विशेषज्ञों ने प्राकृतिक वास और वन्यजीव प्रबंधन की उपयुक्तता पर सवाल उठाए थे। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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अभिषेक गुप्ता author
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