Chennai Central: चेन्नई सेंट्रल बना देश का पहला साइलेंट रेलवे स्टेशन, जानिए कैसे हुआ ये मुमकिन
इस स्टेशन से लगभग 200 एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरती हैं जिसमें 46 जोड़ी दैनिक ट्रेनें शामिल हैं और औसत दैनिक यात्रियों की संख्या 5.3 लाख है। इस पहल को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
भारत का पहला साइलेंट रेलवे स्टेशन (Symbolic)
चेन्नई में 150 साल पुराना डॉ. एमजीआर रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन रविवार से पूरी तरह खामोश हो गया। ऐसा करने वाला यह भारत का पहला स्टेशन बन गया। रविवार से स्टेशन में सार्वजनिक घोषणा प्रणाली बंद कर दी गई, जो दशकों से यात्रियों को उनकी ट्रेनों के बारे में बताता रही थी। हवाई अड्डों की तरह रेलवे स्टेशन पर अधिक पूछताछ बूथों और डिस्प्ले बोर्ड का सहारा लिया गया है।
यात्रियों की सुविधा के लिए जरूरी इंतजाम
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दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आर एन सिंह द्वारा जारी किए गए बदलाव की घोषणा के आदेश में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि सभी विज़ुअल डिस्प्ले बोर्ड काम करने की स्थिति में हों और यात्रियों की सुविधा के लिए पूछताछ बूथों पर पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएं।
तमिल, हिंदी और अंग्रेजी में ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान दिखाने वाली बड़ी डिजिटल स्क्रीन स्टेशन के सभी तीन एंट्री प्वाइंट यानि ईवीआर पेरियार सलाई (एमटीसी बस स्टॉप), उपनगरीय टर्मिनस और वॉल टैक्स रोड (गेट नंबर 5) पर लगाई गई है। कॉन्कोर्स एरिया को भी 40-60 इंच के डिजिटल बोर्ड से कवर किया गया है। उपनगरीय ट्रेनों के लिए पीए सिस्टम जारी रहेगा। चेन्नई रेलवे डिवीजन के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि विज्ञापनों में कोई ऑडियो भी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे कर्मचारियों द्वारा संचालित यात्री सूचना केंद्र यात्रियों की मदद करेंगे।
स्टेशन से लगभग 200 एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरती हैं
इसे यात्रियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। स्टेशन से लगभग 200 एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरती हैं जिसमें 46 जोड़ी दैनिक ट्रेनें शामिल हैं और औसत दैनिक यात्रियों की संख्या 5.3 लाख है। तमिल घोषणाओं को आवाज देती हैं कविता मुरुगेसन, जो इरोड में स्थित एक डबिंग कलाकार और कॉलेज लेक्चरर हैं। सार्वजनिक घोषणा प्रणाली का उपयोग ट्रेनों के आगमन, प्रस्थान, देरी और ट्रेनों के स्थान के बारे में जानकारी देने के लिए होता था। यह दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान और दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए प्रभावी साबित हुआ था। विकलांगों की सहायता के लिए स्टेशन ने अब अपने मुख्य प्रवेश द्वार पर ब्रेल नेविगेशन मानचित्र लगाए हैं। विकलांग व्यक्तियों के लिए अब जगह-जगह क्यूआर कोड भी चिपकाए गए हैं।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि यात्रियों के अनुभव के आधार पर अतिरिक्त सुधार किए जाएंगे। स्टेशन के पुनर्विकास के हिस्से के रूप में प्रवेश द्वार पर बड़े डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे। पूछताछ काउंटर भी बढ़ाए जाएंगे। सेंट्रल स्टेशन पर कोयम्बटूर जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार सलेम के निवासी एस वसंत पेरुमल ने बताया कि घोषणा ने होने से शायद ही कोई फर्क पड़ा हो। पीए सिस्टम को सुनने से पहले ही मैं डिस्प्ले बोर्ड पर ट्रेनों की जानकारी लेता था। बिना शोर-शराबे के यहां के माहौल में बदलाव देखने को मिलेगा।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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