बघेल सरकार का प्लान रहा सफल तो छत्तीसगढ़ में हो जाएगा 81% आरक्षण, जनरल के हिस्से आएंगी सिर्फ...
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार आरक्षण में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है, अगर कांग्रेस सरकार का प्लान सफल रहा तो राज्य में जनरल वर्ग को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। राज्य सरकार आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए विधानसभा का सत्र भी बुला लिया गया है।
छत्तीसगढ़ में आबादी के अनुपात के हिसाब से हो सकता है आरक्षण
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आरक्षण को लेकर एक बड़ा कदम उठाती दिख रही है। रिपोर्टों की मानें तो बघेल सरकार राज्य में आबादी के अनुपात के हिसाब से आरक्षण देने की तैयारी कर रही है, इसके लिए विधानसभा का सत्र भी बुला लिया गया है।संबंधित खबरें
विधानसभा का स्पेशल सत्रसंबंधित खबरें
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बुधवार को ही सत्र बुलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राज्य में 1 और 2 दिसंबर को राज्य विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया है। जानकारी के अनुसार यह सत्र आदिवासी कोटा के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगा। विशेष सत्र हाल ही में उच्च न्यायालय के एक फैसले के कारण उत्पन्न गतिरोध को दूर करने के लिए बुलाया गया है, जिसमें आरक्षण की लिमिट 58 प्रतिशत तक करने के आदेश को रद्द कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा था कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है।संबंधित खबरें
किसे मिलेगा कितना आरक्षणसंबंधित खबरें
रिपोर्टों के मुताबिक, भूपेश बघेल सरकार एसटी के लिए 32% कोटा, एससी के लिए 12% कोटा और ओबीसी के लिए 27% रिजर्व पर विचार कर रही है। साथ ही EWS के लिए 10 प्रतिशत का कोटा भी इसमें रहेगा। इस तरह से कुल आरक्षण 81 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।संबंधित खबरें
सबसे ज्यादा घाटा जनरल कोसंबंधित खबरें
सरकार अगर यह नियम लागू करने में सफल हो जाती है तो सबसे ज्यादा घाटा जनरल कोटे वालों को होगा। क्योंकि उसके हिस्से में सिर्फ 19 प्रतिशत सीटें ही आएंगी। इस 19 प्रतिशत में भी सिर्फ जनरल ही नहीं रहेगा, बल्कि उसके साथ-साथ सभी जातियां इसमें शामिल होंगी। संबंधित खबरें
बघेल का क्या है कहनासंबंधित खबरें
सीएम बघेल ने बार-बार कहा है कि उनकी सरकार पूरी आबादी में विभिन्न समूहों के अनुपात के आधार पर आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विधेयक को पेश करने के अलावा, कांग्रेस सरकार केंद्र से छत्तीसगढ़ के आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करने के लिए एक प्रस्ताव पेश कर सकती है, जिसमें केंद्रीय और राज्य के नियम शामिल हैं, जिन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।संबंधित खबरें
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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