Chhattisgarh:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 'नशा मुक्ति' हेतु व्यापक जन-जागरण अभियान के दिए निर्देश

Drug Addiction in Chhattisgarh: मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को जारी निर्देश में कहा है कि नशा एक ऐसी गंभीर सामाजिक बुराई है, जिससे मनुष्य का अनमोल जीवन गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है तथा वह अकाल मृत्यु का भी शिकार बन जाता है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नशे के दुष्प्रभावों से समाज को बचाने के लिए व्यापक जन-जागरण अभियान आरंभ करने के निर्देश दिए

मुख्य बातें

  1. समाज कल्याण विभाग एक माह में नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान की विस्तृत कार्ययोजना करे प्रस्तुत
  2. अभियान हेतु नशा मुक्ति के क्षेत्र में कार्य कर रहे ख्यातिनाम व्यक्तियों और संस्थाओं से किया जाए परामर्श
  3. विद्यार्थियों में जन जागरूकता के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजित किए जाएं सेमीनार

Raipur News: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में नशे के दुष्प्रभावों से समाज को बचाने के लिए व्यापक जन-जागरण अभियान आरंभ करने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान की विस्तृत कार्य योजना तैयार करने देश में नशा मुक्ति हेतु कार्य कर रहे ख्यातिनाम व्यक्तियों एवं संस्थाओं से आवश्यक रूप से परामर्श किया जाए। समाज कल्याण विभाग एक माह में नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा है कि इस अभियान में शासकीय प्रयासों के साथ ही एनजीओ सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं का सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाए।

नशे के लिए लोगों द्वारा गांजा, भांग, जर्दा गुड़ाखू, तंबाकू, शराब, गुटका, धूम्रपान, चरस, अफीम, स्मैक, कोकीन और ब्राउन शुगर जैसे मादक पदार्थों का सेवन किया जाता है। छत्तीसगढ़ पुलिस इस पर लगातार कार्यवाही कर रही है तथा छत्तीसगढ़ सरकार भी इसे रोकने का प्रयास कर रही है, किन्तु जब तक हम इस अभियान को जनमानस से नहीं जोड़ेंगे तथा जन-जन तक नहीं पहुंचायेंगे, तब तक यह अभियान सफल नहीं हो पाएगा। युवा पीढ़ी में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ना अत्यधिक चिंताजनक विषय है।

समाज को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने, युवा पीढ़ी को बर्बादी से बचाने तथा उनकी संपूर्ण ऊर्जा का राष्ट्र निर्माण में उपयोग करने के लिए आवश्यक है कि नशा मुक्ति हेतु बड़ा जन-जागरण अभियान आरंभ किया जाये। उच्चतर माध्यमिक शालाओं, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों में जागरूकता हेतु सेमीनार आयोजन किए जायें। शासकीय प्रयासों के साथ ही एनजीओ सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं का सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाये।

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