मियां-बीवी के झगड़े में नक्सलियों के एरिया में घुस गई ट्रेन, रेलवे को हुआ 3 करोड़ का नुकसान; अब हुआ तलाक
Chhattisgarh News: वेंकटगिरी ने बताया कि जब वह 22 मार्च 2012 को ड्यूटी पर था तब उनकी पत्नी उससे फोन पर झगड़ने लगी। इस दौरान वह दूसरे फोन पर कामलूर के स्टेशन मास्टर के साथ भी कार्य को लेकर बात कर रहा था। जब पत्नी मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान झगड़ने लगी तब उसने कहा कि वह घर आकर बात करेगा तथा पत्नी को 'ओके' कह दिया जिसे सुनकर कामलूर के स्टेशन मास्टर ने रेलगाड़ी को सिग्नल दे दिया और ट्रेन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चली गई।
Indian Railway
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में रेलवे के एक कर्मचारी और उसकी पत्नी के बीच फोन पर हुए झगड़े के दौरान 'ओके' कहने के कारण हुई गलतफहमी की वजह से कथित तौर पर रेलगाड़ी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चली गई और रेल विभाग को तीन करोड़ रुपए का घाटा हो गया। रेल विभाग ने इसे लेकर जब पति के खिलाफ कार्रवाई की तब बाद में पति ने इसके साथ ही अन्य मामलों को लेकर पत्नी से तलाक की अर्जी लगाई जिसे कुटुम्ब न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था। हालांकि, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के बाद पति की अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
उच्च न्यायालय से मिली जानकारी के अनुसार विशाखापत्तनम के निवासी गोरा पल्लई वेंकटगिरी और दुर्ग जिले की निवासी येरनाकुला मीरा के तलाक मामले की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की युगल पीठ ने पति की अपील को स्वीकार कर लिया। उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार दुर्ग कुटुम्ब न्यायालय ने पति वेंकटगिरी का तलाक का आवेदन खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
2011 में हुई थी शादी
इस फैसले के अनुसार, विशाखापत्तनम निवासी वेंकटगिरी और दुर्ग जिले की निवासी मीरा का विवाह 12 अक्टूबर 2011 को दुर्ग जिले में सपन्न हुआ था। वेंकटगिरी विशाखापत्तनम में कार्यरत था तथा मीरा के पिता भी रेलवे विभाग में कार्यरत थे। फैसले के अनुसार वेंकटगिरी ने कहा है कि विवाह के बाद जब विशाखात्तनम में रिसेप्शन हुआ तब उनकी पत्नी मीरा खुश नहीं थी। बाद में जब उन्होंने इस संबंध में पत्नी से पूछताछ की तब पत्नी ने बताया कि विवाह के पूर्व उसका एक व्यक्ति से प्रेम संबंध था जिसे वह नहीं भूल सकती है। वेंकटगिरी के अनुसार इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना मीरा के पिता को दी। जब मीरा को जानकारी मिली कि पति ने इसकी जानकारी पिता का दे दी है तब उसने वेंकटगिरी को धमकाना शुरू कर दिया। इस दौरान उसने अपने प्रेमी से भी बातचीत जारी रखी और इस कारण घर में कलह बढ़ता गया।
क्या है मामला?
वेंकटगिरी ने न्यायालय को बताया कि जब वह 22 मार्च 2012 को ड्यूटी पर था तब उनकी पत्नी उससे फोन पर झगड़ने लगी। इस दौरान वह दूसरे फोन पर कामलूर के स्टेशन मास्टर के साथ भी कार्य को लेकर बात कर रहा था। जब पत्नी मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान झगड़ने लगी तब उसने कहा कि वह घर आकर बात करेगा तथा पत्नी को 'ओके' कह दिया जिसे सुनकर कामलूर के स्टेशन मास्टर ने रेलगाड़ी को सिग्नल दे दिया और ट्रेन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चली गई। जबकि इस क्षेत्र में रात 10 बजे से सुबह छह बजे तब रेलगाड़ियों के आवागमन की मनाही थी। वेंकटगिरी के अनुसार इस गलती के कारण रेल विभाग को तीन करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और विभाग ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की। वेंकटगिरी ने न्यायालय को बताया कि इसके बाद भी पत्नी ने उसके साथ झगड़ा करना जारी रखा और उसके पिता ने उसे गुंडों से पिटवाया। साथ ही उसके कार्यालय में भी उसके साथ झगड़ा किया गया। कुछ समय बाद पत्नी मीरा अपने पिता के पास दुर्ग जिले में चली गई। वेंकटगिरी के अनुसार 13 मार्च 2013 को मीरा ने पति और उनके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया।
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