अयोध्या मामले पर CJI चंद्रचूड़ का खुलासा, बताया किस तरह सर्वसम्मति से दिया गया था फैसला
CJI on Ayodhya Verdict: 9 नवंबर, 2019 को दिए गए फैसले ने एक सदी से चले आ रहे विवादास्पद मुद्दे का समाधान कर दिया था। इसी फैसले पर मौजूदा सीजेआई ने अपने विचार रखे।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़
CJI on Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाए चार साल से अधिक समय बीत चुका है। इस फैसले का देश के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा है। सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले को लेकर अपने विचार रखे जिसमें वह खुद भी शामिल थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये किसी भी एकल न्यायाधीश का फैसला नहीं था, बल्कि निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था।
एक सदी तक रहा विवाद
9 नवंबर, 2019 को दिए गए फैसले ने एक सदी से चले आ रहे विवादास्पद मुद्दे का समाधान कर दिया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने न सिर्फ विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया, बल्कि यह भी निर्देश दिया कि अयोध्या शहर के भीतर एक मस्जिद के निर्माण के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन आवंटित की जाए। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने पर्दे के पीछे की निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में विवरण का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि सभी न्यायाधीश फैसले को किसी व्यक्ति विशेष के बजाय अदालत की एकीकृत आवाज के रूप में पेश करने पर आम सहमति पर पहुंच गए थे।
सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया
सीजेआई ने कहा, जब पांच न्यायाधीशों की पीठ फैसले पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठी, जैसा कि हम सभी फैसला सुनाने से पहले करते हैं, तो हम सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यह अदालत का फैसला होगा। इसलिए, इसमें किसी भी व्यक्तिगत न्यायाधीश को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। इस मामले में संघर्ष का एक लंबा इतिहास है, देश के इतिहास के आधार पर विविध दृष्टिकोण हैं और जो लोग पीठ का हिस्सा थे, उन्होंने फैसला किया कि यह अदालत का फैसला होगा। अदालत एक स्वर और विचार के माध्यम से बात करेगी, ऐसा करने से यह स्पष्ट संदेश दिया जाना था कि हम सभी न सिर्फ नतीजे में बल्कि फैसले में बताए गए कारणों में भी एक साथ खड़े हैं।
9 नमंबर 2019 का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पीठ के 2019 के फैसले ने हिंदुओं की निर्विवाद मान्यता को स्वीकार किया कि भगवान राम का जन्म विवादित स्थल पर हुआ था, जिससे उन्हें प्रभावी रूप से भूमि के प्रतीकात्मक स्वामी के रूप में मान्यता मिली। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक ऐसा कृत्य था जिसमें सुधार की आवश्यकता है।
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