अब उत्तराखंड में LAC के नजदीक चीन ने पसारे पैर, भारत का भी काउंटर प्लान तैयार
इससे पहले चीन अरुणाचल प्रदेश ईस्टर्न लद्दाख और सिक्किम के पास भी इसी तरह के मिलिट्री स्ट्रक्चर तैयार कर चुका है।
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India Vs China: लाइन ऑफ कंट्रोल पर चीन की जबरदस्त तैयारी जारी है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के बाद अब चीन उत्तराखंड के नजदीक एलएसी से सटे इलाकों में भी अपने निर्माण मजबूत कर रहा है। इंटेलिजेंट की ताजा रिपोर्ट और सेटेलाइट तस्वीरें दिखा रहे हैं कि अब चीन ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी के लगभग 40 से 50 किलोमीटर दूर एलएसी के पास मिलिट्री स्ट्रक्चर तैयार कर लिए हैं। ये निर्माण पिछले कुछ महीनों में तेजी से किए गए हैं। इससे पहले चीन अरुणाचल प्रदेश ईस्टर्न लद्दाख और सिक्किम के पास भी इसी तरह के मिलिट्री स्ट्रक्चर तैयार कर चुका है
चीन ने सेना के जमावड़े को बढ़ाया
एलएसी के करीब चीन ने न सिर्फ अपनी सेना के जमावड़े को बढ़ाया है बल्कि मॉडल विलेज के नाम पर यहां कई पक्के ढांचे बनाए हैं। कहीं-कहीं पर इनकी संख्या लगभग 300 भी है। हालांकि एलएसी के उत्तराखंड वाले इलाके में आमतौर पर शांति ही रहती है लेकिन उत्तराखंड के बाराहोती में चीन के सैनिक दो से ज्यादा बार घुसपैठ की कोशिश कर चुके हैं। एलएसी के नजदीक होने वाले इस निर्माण के अलावा चीन ने कई इलाकों में अपने एयरबेस इसको और ज्यादा मजबूत कर लिया है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की बात करें तो चीन लगातार सड़कों को एलएसी के नजदीक तक तैयार कर रहा है।
टैंक सहित दूसरे हथियारों की तैनाती
पिछले 5 महीनों में पीएलए ने अपने सैनिकों की संख्या को भी बढ़ाया है। इतना ही नहीं चीन ने अपने टैंक्स और दूसरे हथियारों की तैनाती में भी इजाफा किया है। आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है? क्या गलवान संघर्ष के 3 साल बाद चीन एक बार फिर कोई साजिश रच रहा है? हाल ही में इंटेलिजेंस रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन ने अपने सैनिकों के रहने के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के नजदीक नए शेड बनाए हैं। इन शेड्स को खास तरह के मैटेरियल से बनाया गया है ताकि सैनिकों को भीषण ठंड में कोई तकलीफ ना हो। आपको बता दें कि चीन के सैनिक हाय एल्टीट्यूड एरिया में काफी असहज महसूस करते हैं और इसी वजह से उनकी ड्यूटी कम वक्त के लिए यहां लगाई जाती है।
चीन ने अपनाई नई रणनीति
लेकिन अब चीन ने नई रणनीति अपनाई है और अब अपने सैनिकों को जल्दी-जल्दी रोटेट करने के बजाए लंबे समय तक एक ही पॉइंट पर तैनात किया है जैसा कि भारत की सेना करती आई है। भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक भारत ने चीन की इस तैयारी को देखते हुए जमीन और आसमान दोनों में अपनी कॉम्बैट ड्रिल्स को तेज कर दिया है भारतीय सेना ने भी चीन की इस तैयारी का जवाब देने के लिए लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हथियारों को बढ़ाया है। T-90 और T-72 की संख्या को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पहले से ज्यादा बढ़ा दिया गया है। भारतीय सेना की तैयारी अरुणाचल प्रदेश, पूर्वी लद्दाख, नॉर्थ सिक्किम और उत्तराखंड के एलएसी से लगे हुए इलाकों में खास तौर पर की जा रही है।
भारतीय सेना भी तैयार
टैंकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही बीएमपी और आर्टिलरी गन की नई तैनाती किए जा रही हैं। हथियारों और सैनिकों की संख्या बल के अलावा भारतीय सेना ने कॉम्बैट अभियान में भी इजाफा किया है। भारतीय वायु सेना भी इस पूरे इलाके में एयर एक्सरसाइज कर रही है। एलसीए तेजस, रफाल, सुखोई एलसीएच जैसे विमानों के साथ भारतीय वायु सेना आक्रामकता के साथ चीन की सीमा के नजदीक अपनी कॉम्बैट ट्रेनिंग कर रही है। हाल ही में भारतीय वायुसेना ने पहली बार 4 रफाल विमानों को इंडियन ओशन रीजन में 6 घंटे से ज्यादा के लिए ऑपरेशनल ड्रिल में तैनात किया। इसे भी चीन के खिलाफ भारत की तैयारी का एक बड़ा हिस्सा माना जा रहा है।
भारत-चीन के बीच फिर होगी बैठक
दिल्ली में भारत और चीन के बीच डब्ल्यूएम सीसी की बैठक में तय किया गया है कि भारत और चीन एक बार फिर डायलॉग टेबल पर फ्रिक्शन पॉइंट्स पर बने हुए विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे। इनमें दो अहम बिंदु है डेपसान्ग प्लेंस और डैम चौक का इलाका। इन दोनों ही जगहों पर चीन अपना दावा ठोकता आया है और इन इलाकों के करीब उसने अपने टेंट नुमा स्ट्रक्चर भी तैनात किए हैं। 19 वें दौर की बातचीत के बाद चीन ने इन इलाकों में बफर जोन की भी सिफारिश की थी जिसे भारत ने नामंजूर किया था। सूत्रों के मुताबिक जल्दी 19वें दौर की वार्ता होने वाली है जिसमें एक बार फिर भारत चीन को फ्रिक्शन पॉइंट्स से पीछे हटने के लिए कहेगा। इसी बीच जमीन और आसमान पर चीन की तैयारी तेज दिखाई दे रही है जिसे काउंटर करने के लिए भारत बिल्कुल तैयार है।
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