तवांग में चीन की गुस्ताखी, कहीं क्वॉड को उकसाने का खेल तो नहीं
तवांग सेक्टर में चीनी घुसपैठ का भारतीय फौज ने करारा जवाब दिया है। चीन की इस हरकत को अमेरिका ने क्वॉड देशों को उकसाने वाला बताया। अमेरिका ने कहा कि क्वॉड के सदस्य देशों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने गुस्ताखी की थी यानी भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की। हालांकि भारतीय फौज ने चीन की नापाक चाल को नाकाम कर दिया। चीन की इस हरकत पर अमेरिका भी आगबबूला है और कहा क्वॉड के सदस्य देशों की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध है। बता दें कि क्वॉड में कुल चार सदस्य देश, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर का कहना है कि भारत- प्रशांत रीजन में चीन जानबूझकर तनाव बढ़ा रहा है। साझेदार देशों को उकसाने का काम कर रहा है। लेकिन हम सदस्य देशों के हितों और रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अरुणातचल प्रदेश में एलएसी पर मौजूदा हालात पर अमेरिका की नजर है। उन्होंने कहा कि एलएसी के करीब इंफ्रास्ट्रक्चर का होना किसी भी मायने में सही नहीं है। भारत ने तनाव को कम करने के लिए जो कोशिश कर रहा है उसका हम समर्थन करते हैं।
डोकलाम मुद्दे पर भूटान पर चीनी दबाव
चीन ने डोकलाम पठार के पास भारत-चीन-भूटान त्रि-जंक्शन क्षेत्र में फिर से सैन्य गतिविधि शुरू कर दी है। 2017 के गतिरोध के बाद सीमा वार्ता के लिए भूटान पर दबाव डाल रहा है। तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर की पीएलए की आक्रामकता में कम से कम 300 चीनी सैनिक शामिल थे (कुछ अनुमान कहते हैं कि संख्या 600 तक हो सकती है) अकारण थी और शायद भारतीय सेना की प्रतिक्रिया को टेस्ट करने की कोशिश थी। पीएलए पूरी तरह से कब्जे वाले अक्साई चिन और ताशकुर्गन क्षेत्र में काराकोरम दर्रे के पार तैनात है और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पार सहायक बुनियादी ढांचे के उन्नयन सहित उन्मादी सैन्य गतिविधि में लगी हुई है।
चीन की दोहरी नीति
तवांग में 9 दिसंबर की झड़प भी चीन की दोहरी नीति को दर्शाने के लिए पर्याप्त है, 30 नवंबर को एलएसी से 100 किमी दूर उत्तराखंड के औली में भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के संयुक्त सैन्य अभ्यास के संदर्भ में बीजिंग ने भारत से 1993-1996 के सीमा समझौतों का पालन करने के लिए कहा था। चीन ने न केवल संयुक्त बटालियन-स्तरीय पैदल सेना अभ्यास का विरोध किया, बल्कि उसने भारत को एलएसी पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखने के लिए भी कहा। लेकिन भारत और अमेरिका ने अपनी ओर से संयुक्त अभ्यास के चीनी विरोध को खारिज कर दिया। यह ध्यान देने योग्य है कि ये वही समझौते हैं जिन्हें चीन द्वारा जानबूझकर और जानबूझकर अनदेखा किया गया था जब पीएलए ने मई 2020 में गलवान (गश्त बिंदु 14), कुगरांग नाला (गश्त बिंदु 15) और पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर घुसपैठ की थी। तब, यह विचार एक विवादित सीमा के साथ क्षेत्रीय और सामरिक लाभ हासिल करने का था।
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ललित राय author
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