नई चाल: चीन की भारत की वियाग्रा पर नजर, बाजार में 80-90 लाख रुपये किलो तक है कीमत

China Incursion in India: हिमालय की वियाग्रा एक फंगस है जो मौस के लारवा में पैदा होती है। इसका इस्तेमाल ईलाज के लिए किया जाता है। बेहद दुर्लभ होने के कारण दुनिया का सबसे महंगा फफूंद है और लोगों का दावा है कि इससे अस्थमा, कैंसर और मर्दाना कमजोरी ठीक हो जाती है।

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चीन भारत की इस जड़ी-बूंटी के पीछे क्यों पड़ा

मुख्य बातें
  • IPCSC की रिपोर्ट के अनुसार कीड़ा जड़ी की कीमत मांग को देखते हुए 63000 डॉलर प्रति पौंड तक पहुंच जाती है।
  • हिमालय की वियाग्रा की दुनिया भार में भारी मांग है।
  • भारत,चीन, नेपाल और भूटान में यह फंगस पाया जाता है।
China Incursion in India: चीन कब क्या कर दें इस बात का कोई भरोसा नही है। अब उसे लेकर नया दावा सामने आया है। इंडो-पैसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस (IPCSC)की रिपोर्ट के अनुसार चीन की भारत में घुसपैठ की एक बड़ी वजह हिमालय की वियाग्रा हो सकती है। जिसको चुराने के लिए वह भारत में घुसपैठ की हरकतें कर रहा है। हिमालय की वियाग्रा की दुनिया भार में भारी मांग है। लेकिन खेती के लिए योग्य नहीं होने की वजह से यह बेहद दुर्लभ है। और बाजार में इसकी कीमत 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 80-90 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। रिपोर्ट के अनुसार इसे हासिल करने के लिए चीन इस तरह की हरकतें भी कर सकता है।
क्या है हिमालय की वियाग्रा
हिमालय की वियाग्रा एक जड़ी बूटी है। जिसे कीड़ा-जड़ी भी कहा जाता है। और इसका वैज्ञानिक नाम Caterpillar fungus है। तिबब्ती भाषा में इसे यार्सागुम्बा भी कहा जाता है। यह हिमालयी क्षेत्रों में तीन से पांच हजार मीटर की ऊंचाई वाले बर्फीले पहाड़ों पर पाई जाती है। हिमालय वियाग्रा जड़ी-बूटी भारत में प्रतिबंधित है। IPCSC की रिपोर्ट का दावा है कि चीनी सैनिकों हिमालय की वियाग्रा की तलाश में अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की कोशिश की थी।
हिमालय की वियाग्रा एक फंगस है जो मौस के लारवा में पैदा होती है। इसका इस्तेमाल ईलाज के लिए किया जाता है। बेहद दुर्लभ होने के कारण दुनिया का सबसे महंगा फफूंद है और लोगों का दावा है कि इससे अस्थमा, कैंसर और मर्दाना कमजोरी ठीक हो जाती है। IPCSC की रिपोर्ट के अनुसार इसकी कीमत मांग को देखते हुए 63000 डॉलर प्रति पौंड तक जाती है।
यह फंगस मिट्टी में नहीं उग सकता। कीड़ा जड़ी बर्फ के पिघलने के मौसम में उगता है। जो कि चीन, भारत में ही ज्यादातर पाई जाती है। इसके अलावा नेपाल और भूटान में थोड़ी मात्रा में पाई जाती है।
चीन में तेजी से कमी
चीन में यह दक्षिण-पश्चिम हिस्से के क्विनघाई पठार और तिब्बत में पाई जाती है। चीन इसका सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इन दोनों जगहों पर चीन का 80 फीसदी उपलब्धता है। लेकिन पिछले दो वर्षों से उपलब्धता में बड़ी गिरावट आने से चीन में कीड़ा जड़ी की भारी कमी हो गई है। उपलब्धता कम होने के बीच चीन, अमरीका, ब्रिटेन, जापान, थाईलैंड और मलेशिया में इसकी ऊंची कीमत है। यही नहीं उपलब्धता वाले क्षेत्रों में 30 फीसदी तक कमी आई है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने इसे रेड लिस्ट में डाल दिया है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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