China के एरियल अटैक का मिलेगा जवाब! LAC पर तैनात हुई पहली मिसाइल MRSAM रेजिमेंट
एलएसी पर चीन के किसी भी एरियल अटैक को जवाब देने के लिए ईस्टर्न कमांड में MRSAM की पहली रेजिमेंट स्थापित की गई है। ईस्टर्न आर्मी कमांडर ने 'अभ्रा' रेजिमेंट का जायजा लिया है।



ईस्टर्न आर्मी कमांडर ने लिया 'अभ्रा' रेजिमेंट का जायजा
सेना के लिए बनाई गई मध्यम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली पहली मिसाइल MRSAM रेजिमेंट को ईस्टर्न कमांड में रेज कर लिया गया है।MRSAM वेपन सिस्टम को डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। MRSAM मिसाइल सिस्टम को 'Abhra' के नाम से भी जाना जाता है, इसे DRDO ने इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने मिलकर बनाया है। चीन के एरियल अटैक का जवाब देने में सक्षम मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल “अभ्रा” आर्मी एयर डिफेंस कोर की ताक़त में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा करेगा।
इजरायल का भी योगदानइस रेजिमेंट चीन के किसी भी एरियल अटैक का जवाब देने के मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल 'अभ्रा' को इस्टर्न कमॉड में स्थापित किया गया। ये भारतीय थलसेना के एयर डिफ़ेंस कोर का पहला मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल रेजिमेंट है जिसमें MRSAM यानी मिडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिया गया। डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री द्वारा मिलकर बनाए गए यह एयर डिफेंस सिस्टम दुश्मन के एयरक्राफ्ट , ड्रोन गाइडेड हथियार और सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को भी आसानी से ट्रैक कर के उसे नष्ट कर अपने इलाके की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है।
दुश्मन के लिए है घातक यह सिस्टम डेडिकेटेड रडार के सपोर्ट से अकेले फायरिंग यूनिट की तरह ऑपरेट कर सकता है। खतरा चाहे ट्रेडिशनल हो या फिर एडवांसड , ये सिस्टम बहुत जल्दी से रिएक्ट कर दुशमन के ख़तरे को नष्ट कर सकता है। यह सिस्टम एक ही वक्त में दुश्मन के अलग अलग 16 टारगेट पर 24 मिसाइल दाग सकता है। ये एक सुपरसोनिक मिसाइल है जिसमे एक एसा सीकर है जो हर एरियल खतरे को ढूँढकर उसे नष्ट कर देता है। इसकी रेंज 70 किलोमीटर तक है, इसकी एक्सटेंडेड रेंज दुश्मन के एयरक्राफ्ट को 110 किलोमीटर तक भी निशाना बना सकती है। ये एक मोबाइल वर्टिकल लॉंचर है और कम समय में किसी भी जगह पर इसे तैनात किया जा सकता है।
सिस्टम की खूबियां इस सिस्टम की एक बैटरी में तीन लॉंचर है और हर लॉंचर में 8ट्यूब है। एक बार सभी मिसाइल लॉंच होने के बाद कुछ समय में ही इसे फिर से रीलोड भी किया जा सकता है। भारतीय सेना के इस्टर्न आर्मी कमॉडर लें जन आर पी कलीता ने इस रेजिमेंट का दौरा किया। ये मिसाइल सिस्टम हमारी एयर डिेफेंस सिस्टम में एक गेम चेंजर साबित होगी। सितंबर 2021 में ही भारतीय वायुसेना के लिए इसी MRSAM की पहली रेजिमेंट को जैसलमेर में स्थापित किया गया था।
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