चाइनीज लोन App का सुसाइड कनेक्शन,फंसे तो हो जाएंगे बर्बाद,ऐसे करें फर्जी कंपनियों की पहचान
Chinese Loan App And Suicide Cases In India: गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है कि देश भर से बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि डिजिटल तरीके से कर्ज देने वाली गैर कानूनी ऐप का गरीब तबका सीधा निशाना बन रहा है।
गृह मंत्रालय का चाइनीज लोन ऐप पर अलर्ट
- गैर कानूनी कंपनियों के जाल में फंसने कारण देश भर में कई लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए हैं।
- ये कंपनियां फटाफट लोन देती हैं। और ऐसे लोगों को टारगेट करती हैं, जिन्हें आसानी से पर्सनल लोन नहीं मिलता है।
- कंपनियां कर्ज वसूली में अवैध तरीकों को अपनाकर ग्राहकों का उत्पीड़न करती हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं सुसाइ़ड
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है कि देश भर से बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि डिजिटल तरीके से कर्ज देने वाली गैर कानूनी ऐप का गरीब तबका सीधा निशाना बन रहा है। इसके तहत निम्न आय वर्ग के लोगों को ऊंची ब्याज दरों पर कम अवधि के कर्ज दिए जा रहे हैं। लेकिन उसमें भारी फीस भी छुपी हुई हैं। जिससे इस वर्ग के लोग अनजान है। ये कंपनियां कर्जदारों के संपर्क, स्थान, तस्वीरों और वीडियो जैसे गोपनीय निजी डेटा का इस्तेमाल कर उनका उत्पीड़न करती हैं और उन्हें डराकर ब्लैकमेल भी करती हैं।
वैसे तो चाइनीज लोन ऐप से कितने सुसाइड हुए हैं, इसका अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन एनसीआरबी-2021 की रिपोर्ट के अनुसार करीब 8.7 फीसदी सुसाइड आर्थिक और कैरियर की समस्या से हुए हैं। इस अवधि में कुल 1,64,033 लोगों की सुसाइड किया है। इस आधार पर आर्थिक और कैरियर की समस्या के कारण 14,500 लोगों ने आत्महत्या की है।
भारत में सुसाइड के कारण | कुल सुसाइड में हिस्सेदारी |
बैंकरप्सी और कर्ज | 3.9 फीसदी |
बेरोजगारी | 2.2 फीसदी |
प्रोफेशनल और कैरियर की समस्या | 1.6 फीसदी |
गरीबी | 1.0 फीसदी |
बीमारी | 18.6 |
पारिवारिक समस्या | 33.2 फीसदी |
नोट: आंकड़े एनसीआरबी 2021 से लिए गए हैं, इसमें चाइनीज लोन ऐप से होने वाले सुसाइड का अलग से आंकड़ा नहीं है।
मंत्रालय के अनुसार कर्ज देने वाली इन गैर कानूनी कंपनियों के खराब रवैये के कारण देशभर में कई लोगों की जान चली गई है। इस मुद्दे का राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। कर्ज लेने वालों को इन ऐप को अपने संपर्क, स्थान और फोन की स्टोरेज तक अनिवार्य रूप से देनी पड़ती है। मंत्रालय ने कहा कि इसी डाटा का दुरुपयोग किया जाता है। गृह मंत्रालय के अनुसार जांच में यह पाया गया है कि यह एक संगठित साइबर अपराध है जिसे अस्थायी ईमेल, वर्चुअल नंबर, अनजाने लोगों के खातों, शेल कंपनियों, भुगतान सेवा प्रदाताओं, एपीआई सेवाओं, क्लाउड होस्टिंग और क्रिप्टोकरंसी के जरिये अंजाम दिया जाता है।
क्या है चाइनीज कंपनियों का खेल
असल में चाइनीज ऐप ऐसे ग्राहकों को टारगेट करते हैं, जिन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती है। इनके ऐप तो इन्हें बेहद आसानी से गूगल प्ले स्टोर या एपल के ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। ये कंपनियां फटाफट लोन देती हैं। ये ऐप रोजाना के आधार पर कर्ज देते हैं, जिसका ब्याज महीने का 60-65 फीसदी तक पहुंच जाता है। आरबीआई के नियमों के अनुसार इन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के रूप में रजिस्टर्ड होना चाहिए। लेकिन सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर ये कंपनियां बिना लाइसेंस के कर्ज देने का काम शुरू कर देती हैं, जो पूरी तरह से अवैध होता है।
लोन लेने वाले व्यक्ति को कंपनी अपनी व्यक्तिगत जानकारी, तीन महीने की बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड की कॉपी और पैन कार्ड की कॉपी वगैरह की जानकारी ऐप पर अपलोड करनी होती है। और फिर चंद मिनट की वैरिफिकेशन प्रक्रिया के बाद बेहद आसानी से कंपनियों से 50 हजार रुपये तक का लोन देती हैं।
और यह कर्ज सात दिन से लेकर एक साल तक के लिए होता हैं। गृह मंत्रालय जिस छुपी फीस की बात कर रहा है। उसमें 15-20 फीसदी प्रोसेसिंग फीस के अलावा उस पर जीएसटी आदि भी वसूला जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति ने 30 हजार रुपये का कर्ज लिया है तो 4500 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक की प्रोसेसिंग फीस चुकानी पड़ सकती है। इसके अलावा ब्याज रोजाना के आधार पर लिया जाता है।
वहीं अगर वैध कंपनियों की बात की जाय तो लाइसेंस प्राप्त बैंक और एनबीएफसी पर 1-2 फीसदी प्रोसेसिंग फीस और 18-35 फीसदी तक ब्याज चुकाना पड़ता है।
फ्रॉड करने वाली कंपनियां किस्त अदा करने में देरी होने पर रिकवरी एजेंट का इस्तेमाल करती हैं, जो आरबीआइ के मानकों का पालन नहीं करते हैं। जो आम तौर पर स्थानीय दबंग लोगों को कंपनियां वसूली का काम देती हैं, जो कर्ज लेने वाले को तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। कई बार तो उनके रिश्तेदारों को जानकारी देकर बदनामी भी करते हैं।
ऐसे करें फर्जी ऐप की पहचान
- लोन देने वाले फर्जी कंपनियों की पहचान के लिए हमेशा इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर कोई ऐप के जरिए कर्ज देने वाली कंपनी आपसे ज्यादा दस्तावेज नहीं मांगती है। यानी केवाईसी प्रक्रिया बहुत कमजोर है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहए।
- इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि लोन एग्रीमेंट पेपर पर आरबीआई द्वारा रजिस्टर्ड कंपनी का नाम हो।
- तीस दिन से भी कम समय का कोई कंपनी कर्ज देने का ऑफर दे रही हैं। इसके अलावा ऊंची ब्याज दर और बहुत ज्यादा प्रोसेसिंग फीस ले रही हैं।
- ईएमआई चुकने के लिए डिजिटल पेमेंट का ऑप्शन नहीं मिल रहा है, तो इसका मतलब है कि वह फर्जीवाड़ा कर रहा है।
- कर्ज चुकाने में लेट होने पेनल्टी आदि का जानकारी, लोन लेते वक्त छुपाई जा रही है।
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