LAC : PLA पर प्रेशर हाई! घबराहट-चिंता और डर से हो रहा सामना

Chinese soldiers at LAC : PLA की तरफ से अपने सैनिकों की मेंटल काउंसलिंग सर्विस भी शुरू की गई है। जिसमें सैनिकों की मानसिक सेहत को लेकर लगातार उनसे बात की जा रही है। ऐसे कोर्सेज शुरू हुए जिससे सैनिकों को तनाव से निबटने में मदद मिल सके और वो युद्ध के लिए खुद को तैयार कर सकें।

PLA

एलएसी पर तैनात पीएलए के जवान अवसाद में रहते हैं।

Chinese soldiers at LAC : राहुल गांधी ने कहा था कि हमारे जवानों को सीमा पर चीन के सैनिक पीट रहे हैं। लेकिन हम आपको बताएंगे कि वो क्या हमें पीटेंगे जो खुद पिटे हुए हैं। भारतीय सेना के सामने चीन के सैनिक कुछ नहीं हैं, उनकी हिम्मत जवाब दे रही है और आत्मविश्वास ख़त्म हो चुका है। और ये बात खुद एक तरह से चीन की सेना मान रही है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की हेडलाइन 'मेंटल हेल्थ-द बिग स्ट्रेस टेस्ट फॉर चाइना मिलिट्री एम्बिशन' में इसी बात को दोहराया गया है।

अवसाद में हैं पीएलए के सैनिक

ऐसी ख़बरें, ऐसी हेडलाइन हवाबाजी में नहीं लिखी गई। चीन की सेना की मानसिक हालत ठीक नहीं है और खुद चीन के लिए बहुत चिंता की बात है। खुद चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी की ही एक रिपोर्ट में ये कहा गया है कि चीन के हर 5 में से 1 सैनिक में अवसाद या दूसरी मानसिक समस्याओं से परेशान है। LAC पर भारत के साथ दक्षिण चीन सागर और ताइवान पर अमेरिका के साथ तनाव के बीच चीनी सैनिकों को घबराहट, चिंता और डर का सामना करना पड़ रहा है।

मेंटल काउंसलिंग सर्विस दी जा रही

PLA की तरफ से अपने सैनिकों की मेंटल काउंसलिंग सर्विस भी शुरू की गई है। जिसमें सैनिकों की मानसिक सेहत को लेकर लगातार उनसे बात की जा रही है। ऐसे कोर्सेज शुरू हुए जिससे सैनिकों को तनाव से निबटने में मदद मिल सके और वो युद्ध के लिए खुद को तैयार कर सकें। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि LAC पर माइनस 20 से माइनस 50 डिग्री तक जाने वाले तापमान के बीच बेहद मुश्किल ट्रेनिंग की वजह से चीनी सैनिक बहुत प्रेशर में हैं जिसका असर उनके मानसिक स्‍वास्थ्‍य पर पड़ रहा है।

ठीक से ड्यूटी नहीं कर पाते

ये बात पहले सामने आ चुकी है कि चीनी सेना के भीषण ठंड और बेहद ऊंचाई वाले ठिकानों पर तैनात होने के कारण ठीक से ड्यूटी नहीं कर पाते। यही वजह है कि PLA ने पिछले कुछ महीनों में LAC पर अपने 90 प्रतिशत सैनिकों को रोटेट किया था यानी सैनिकों को बदला था। जबकि भारतीय सैनिक 40 से 50 प्रतिशत रोटेट किये जाते हैं..भारतीय सेना के बहुत से जवान इस इलाके में 2-2 साल की पोस्टिंग पर जाते हैं और सीमा की सुरक्षा करते हैं। वैसे चीन के सैनिकों की इस हालत के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बहुत बड़ा रोल है।

43 साल से चीन के सैनिकों ने कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा

आपको याद होगा कुछ समय पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सैनिकों के लिए कहा था वो 'पीस डिजीज' से पीड़ित हैं। 'पीस डिजीज' का मतलब होता है युद्ध के अनुभव की कमी। यानी चीन के सैनिक युद्ध लड़ना भूल गये हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि चीन ने साल 1979 में वियतनाम वॉर के बाद से कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी है और नये सैनिकों को लड़ाई का कोई अनुभव नहीं है यानी 43 साल से चीन के सैनिकों ने कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा है। यही कारण है कि शी जिनपिंग ने PLA के अधिकारियों को निर्देश दिया की सेना को रिफॉर्म करने की ज़रूरत है इसलिए सैनिकों को टफ ट्रेनिंग की ज़रूरत है।

मानसिक तौर पर कहीं ज्यादा मजबूत हैं भारतीय जवान

इसके तहत चीनी सैनिकों की वॉर ज़ोन ट्रेनिंग शुरू की गई। दूसरे देशों की सेनाओं के साथ युद्धाभ्यास किए गये गये। LAC पर बारी-बारी से सैनिकों की पोस्टिंग बढ़ा दी। लेकिन इससे चाइनीज सैनिकों का तेल निकल गया, उन्हें लगा कि कहां फंस गये, इसलिए अब वो डिप्रेशन का शिकार हैं। जिसमें ना राष्ट्रप्रेम की भावना है, ना देश की रक्षा करने का उत्साह और ऊपर से इतनी मुश्किल ट्रेनिंग, चाइनीज सैनिकों का वैसे ही दम निकल गया। अब अगर कोई कहेगा कि ऐसे सैनिक किसी को पीट पाएंगे, तो कौन यकीन करेगा, फिर सामने भारत के सैनिक हैं, जो चाइनीज सैनिकों के मुकाबले मानसिक तौर पर कहीं ज्यादा मजबूत हैं और जिन्हें युद्ध का अनुभव भी है।

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