जस्टिस संजीव खन्ना हो सकते हैं देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, CJI चंद्रचूड़ ने की सिफारिश
Next Chief Justice of India: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
Next Chief Justice of India: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। बता दें, CJI डीवाई चंद्रचूड़ अगले महीने नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। दो साल का उनका कार्यकाल 10 नवंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में सरकार ने बीते शुक्रवार को CJI को पत्र लिखकर अपनी सिफारिश भेजने को कहा था।
बता दें, डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 9 नवंबर, 2022 को कार्यभार ग्रहण किया था। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं। अगर जस्टिस संजीव खन्ना देश के मुख्य न्यायाधीश बनते हैं तो उनका कार्यकाल छह महीने का होगा और 13 मई, 2025 को वह रिटायर हो जाएंगे।
सीजेआई ने हटाई कानून की देवी की आंख की पट्टी
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड के आदेश पर अब अदालतों में दिखने वाली न्याय की देवी की मूर्ति में अहम बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव स्पष्ट रूप से बड़े संदेश दे रहे हैं। न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों पर पहले पट्टी बंधी रहती थी, लेकिन अब इस पट्टी को खोल दिया गया है, जिससे संभवत: आम लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि कानून अंधा नहीं है। आमतौर पर पहले लोग इसी मूर्ति का हवाला देकर कहा करते थे कि कानून अंधा होता है। हालांकि पहले इस बंधी पट्टी का संदेश यह था कि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान अदालत मुंह देखकर फैसला नहीं सुनाती है, बल्कि हर व्यक्ति के लिए समान न्याय होता है।
हाथ में तलवार की जगह संविधान
इसके साथ ही पहले न्याय की देवी की मूर्ति के बाएं हाथ में तलवार रहा करती थी, जिसे हटा दिया गया है। अब तलवार की जगह संविधान रखा गया है, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि हर आरोपी के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। अदालत में लगी न्याय की देवी की मूर्ति ब्रिटिश काल से ही चलन में है, लेकिन अब इसमें बदलाव करके न्यायपालिका की छवि में समय के अनुरूप बदलाव की सराहनीय पहल की गई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायिक प्रक्रिया में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परिपाटी को बदलकर उसमें भारतीयता का रंग घोलने की पहल में जुटे हुए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। न्याय की मूर्ति में किए गए इन बदलावों के जरिए वह संविधान में समाहित समानता के अधिकार को जमीनी स्तर पर लागू करना चाहते हैं। इन बदलावों का चौतरफा स्वागत किया जा रहा है।
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