CJI चंद्रचूड़ की बड़ी टिप्पणी-हम नहीं चाहते SC 'तारीख पर तारीख वाली अदालत' बने

CJI DY Chandrachud: प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम नहीं चाहते सुप्रीम कोर्ट 'तारीख पर तारीख वाली अदालत' बने। कोर्ट में सुनवाई टालने से जुड़े आंकड़े सामने आने के बाद उन्होंने यह अहम टिप्पणी की। सीजेआई ने शुक्रवार को वकीलों से अपील करते हुए कहा कि 'जब तक जरूरी न हो तब तक वे मामलों की सुनवाई अगली तारीख पर करने के लिए अनुरोध न करें।'

CJI Chandrachud

प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों से की अपील।

CJI DY Chandrachud: कोर्ट में बार-बार सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाए जाने पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ी टिप्पणी की है। सीजेआई ने शुक्रवार को वकीलों से अपील करते हुए कहा कि 'जब तक जरूरी न हो तब तक वे मामलों की सुनवाई अगली तारीख पर करने के लिए अनुरोध न करें।' प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम नहीं चाहते सुप्रीम कोर्ट 'तारीख पर तारीख वाली अदालत' बने। कोर्ट में सुनवाई टालने से जुड़े आंकड़े सामने आने के बाद उन्होंने यह अहम टिप्पणी की।

सुनवाई टालने वाले अनुरोधों की संख्या पर लिया संज्ञान

प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ शुक्रवार सुबह सुनवाई के लिए जब एकत्र हुई तो उसके सामने सितंबर और अक्टूबर महीने में स्थगित हुई सुनवाई की संख्या पर नजर गई जिसका सीजेआई ने संज्ञान लिया। इस पर उन्होंने वकीलों से कहा कि जब तक जरूरी न हो तब तक वे सुनवाई टालने का अनुरोध न करें क्योंकि ऐसा करने से सुनवाई की प्रक्रिया तेज करने का लक्ष्य कमजोर पड़ता है।

बीते दो महीने में इस तरह के आए 3,688 अनुरोध

उन्होंने कहा, 'हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट 'तारीख पर तारीख वाला न्यायालय' बन जाए।' सीजेआई ने कहा कि सुनवाई बार-बार टलने पर नागरिकों का भरोसा टूटता है और अदालतों की छवि देश में अच्छी नहीं बनती। एससी ने पाया कि सितंबर और अक्टूबर महीनों में सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाने के लिए वकीलों की तरफ से 3,688 अनुरोध आए। कोर्ट ने पाया कि शुक्रवार को ही एक दिन में सुनवाई टालने के 178 अनुरोध उसे मिले। सीजेआई ने कहा, 'मैं बार के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जब तक जरूरी न हो वे सुनवाई टालने की अपील न करें।'

सुनवाई की पहली अर्जी पर CJI की नजर

प्रधान न्यायाधीश ने आगे कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए दायर होने वाली पहली अर्जी की निगरानी कर रहे हैं। इसका उद्देश्य सुनवाई में लगने वाले समय में कमी लाना है। कोर्ट ने कहा कि कुछ मामलों में सुनवाई टालने के लिए कुछ चीजें बताई गई हैं।

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