बचपन में कैसे थे CJI चंद्रचूड़, खुद बताया, शर्मिलापन दूर करने के लिए माता-पिता लेकर आए थे पेट्स

CJI DY Chandrachud Chuldhood: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं बचपन में बहुत शर्मिला था। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि मैं बहुत बाद में पैदा हुआ। मेरी बहन उम्र में मुझसे 14 साल बड़ी थी। मेरे शर्मिलापन दूर करने के लिए शिक्षकों ने मेरे माता-पिता को घर में पेट डॉग लाने की सलाह दी।'

DY Chandrachud

भारत के 50वें सीजेआई हैं डीवाई चंद्रचूड़।

CJI DY Chandrachud Chuldhood: डी वाई चंद्रचूड़ भारत के मौजूदा एवं 50वें प्रधान न्यायाधीश हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने तार्कित दलीलों एवं क्रांतिकारी फैसलों के लिए जाने जाते हैं। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम तक इन्होंने अब तक कई बड़े फैसले दिए हैं। इनके निजी जीवन के बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। हाल ही में इन्होंने 'द वीक' को दिए एक साक्षात्कार में अपने जीवन से जुड़ी कई बातों एवं घटनाओं के बारे में विस्तार से बात की। चंद्रच्रड़ ने अपने बचपन और अपने स्वभाव के बारे में भी बताया।

'मैं बचपन में बहुत शर्मिला था'

सीजेआई ने कहा, 'मैं बचपन में बहुत शर्मिला था। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि मैं बहुत बाद में पैदा हुआ। मेरी बहन उम्र में मुझसे 14 साल बड़ी थी। मेरे शर्मिलापन दूर करने के लिए शिक्षकों ने मेरे माता-पिता को घर में पेट डॉग लाने की सलाह दी। कुछ दिन बाद घर में एक मेल और फिमेल दो डॉग आ गए। हालांकि, मैं पक्के तौर पर यह नहीं कह सकता कि मेरा शर्मिलापन दूर करने में पेट डॉग्स ने कितनी मेरी मदद की।'

स्टेज पर कविता पढ़ता था-सीजेआई

अपने स्वभाव के बारे में उन्होंने आगे कहा, 'स्वभाव से लोग मुझे भले ही शर्मिला कहते रहे हों लेकिन मैं बता दूं कि स्टेज से मुझे डर नहीं लगता था। मैं बचपन में स्टेज पर कविता पढ़ता था और बहसों में भाग लेता था। लेकिन व्यक्तिगत रूप से जब आपसी बातचीत की बात आती थी तो मेरा शर्मिलापन सामने आ जाता था। यह चीज किसी न किसी रूप में आज भी मेरे अंदर है।'

'खुद को परिवार तक सीमित रखता हूं'

उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से ज्यादा घुलता-मिलता नहीं। मैं खुद को अपने आप तक और परिवार तक सीमित रखता हूं। इससे मुझे अपने काम में मदद मिलती है। मैंने पूरी तरह से खुद को अपने पेशा कानून को समर्पित कर दिया। इस पेशे ने बाकी अन्य चीजों के लिए बहुत कम समय दिया।'

मराठी माध्यम के स्कूल में माता-पिता की शिक्षा

सीजेआई ने बताया कि वह और उनकी बहन अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने जाते थे, जो कि उनके परिवार के लिए यह एक नई बात थी। चंद्रचूड़ ने बताया कि हालांकि उनकी माता-पिता की शिक्षा मराठी माध्यम वाले स्कूल में हुई और सातवीं-आठवीं के बाद उन्होंने अंग्रेजी सीखनी शुरू की। मुंबई में एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने के लिए जाना एक अलग तरह का अनुभव था।

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