यूपी में कांवड़ यात्रा को लेकर CM योगी के आदेश पर रार, जानें इस कानून का UPA सरकार से क्या है नाता
यूपी में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर नेम प्लेट प्रदर्शित करने के सरकारी फरमान के बाद नई बहस छिड़ गई है। तमाम विपक्षी दल सरकार के खिलाफ बयान दे रही है। हालांकि, इसका नाता यूपीए शासनकाल से भी है, जानिए।
फाइल फोटो।
Kanwar Yatra 2024: उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले से बने एक कानून के पालन का आदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जो भी दुकानदार खाने-पीने का सामान बेचते हैं उनको अपना लाइसेंस और नाम अपनी दुकान के बाहर लगाना होगा। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में इस कानून के खिलाफ विपक्षी दलों खासकर, मुस्लिम पक्षकारों का विरोध सामने आया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर नए नियमों को बनाने को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर धर्म के नाम पर कानून बनाने के तीखे प्रहार किए। हालांकि, वास्तविकता क्या है यह भी समझने की जरूरत है।
यूपीए सरकार ने ढाबा मालिकों के लिए कानून बनाया
दस्तावेजों के मुताबिक, ढाबा मालिकों के लिए बनाए गए नियमों में (संशोधन) विधेयक 2006 को यूपीए सरकार ने पास किया। साल 2011 में भी यूपीए के नेतृत्व वाली सरकार ने इन नियमों में परिवर्तन किया, जिनके मुताबिक ढाबा मालिकों के लिए उनके नाम और लाइसेंस को उनके नाम के साथ प्रदर्शित करना अनिवार्य बनाने का निर्णय शामिल था। इस दौरान केंद्र में यूपीए की सरकार थी, जिसमें सोनिया गांधी यूपीए की चेयरपर्सन थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उस दौरान सरकार ने इन नियमों में संशोधन करके नए नियम बनाए थे, जिसके तहत यह नियम भी बनाया गया था कि सभी को अपना नाम दुकान के बाहर प्रदर्शित करना ही होगा।
यह तब सही था, तो क्या ये अभी भी सही है!
तो यहां पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यह नियम पहले से ही यूपीए सरकार के समय बनाया गया था। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने जो नियम पहले से बना हुआ था उसे ही सही तरीके से लागू करने का निर्णय लिया है ना कि कोई नया नियम बनाया है और अब सवाल यहां यह खड़ा होता है कि जब 2006 में यह नियम बनाया गया तब अगर यह सही था, तो फिर आज यह नियम सही है! जब 2006 में यह नियम बनाया गया था उस समय इसका विरोध नहीं हुआ तो अभी इसका विरोध होना चाहिए या नहीं!
22 जुलाई से शुरू होनी है कांवड़ यात्रा
दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक कांवड़िए यात्रा करते हैं। इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ज्यादातर कांवड़िए उत्तराखंड से होते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हैं। सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर आस्था बनाए रखने के लिए इस नियम को लागू करने का हवाला दिया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि भाजपा सामाजिक सद्भाव की दुश्मन है समाज का भाईचारा बिगाड़ना चाहती है भाजपा की इन्हीं विभाजनकारी नीतियों के चलते प्रदेश का सामाजिक माहौल खराब हो रहा है।
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हिमांशु तिवारी एक पत्रकार हैं जिन्हें प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक का 16 साल का अनुभव है। मैंने अपना करियर क्राइम रिपोर्टर के रूप में शुरू किया था...और देखें
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