Padma Awards 2023: 'पद्म श्री' अवॉर्ड से सम्मानित हुए आम लोग, अपनी सेवा से लोगों का संवारा है जीवन

Padma Awards 2023: मेडिकल प्रोफेशनल डॉक्टर दिलीप महालनाबिस को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया है। महालनाबिस 1971 के युद्ध में बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में लोगों का इलाज करने के लिए अमेरिका से वापस आ गए। इसके अलावा उन्होंने दुनिया भर में ओआरएस के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हुए पांच करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन बचाया।

Padma Awards 2023

आम लोगों को मिले हैं पद्म पुरस्कार।

Padma Awards 2023: 74वें गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर सरकार ने बुधवार को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। राष्ट्रपति ने 2023 के लिए 106 पद्म पुरस्कारों के लिए मंजूरी दी। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। सात लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है। पद्म पुरस्कारों के लिए घोषित नामों में महाराष्ट्र से 12, कर्नाटक और गुजरात से आठ-आठ व्यक्ति शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, संपग्र सरकार में विदेश मंत्री रह चुके एस एम कृष्णा और तबला वादक जाकिर हुसैन सहित छह लोगों को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है। खास से लेकर आम लोग भी इस बार इन नागरिक पुरस्कारों के हकदार बने हैं। पद्म पुरस्कार से नवाजे गए ऐसे आम लोगों की हम यहां चर्चा करेंगे।

डॉक्टर दिलीप महालनाबिस (पद्म विभूषण)

मेडिकल प्रोफेशनल डॉक्टर दिलीप महालनाबिस को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया है। महालनाबिस 1971 के युद्ध में बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में लोगों का इलाज करने के लिए अमेरिका से वापस आ गए। इसके अलावा उन्होंने दुनिया भर में ओआरएस के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हुए पांच करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन बचाया। इन्हें मेडिसीन के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए दूसरे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

रतन चंद्र कर (पद्मश्री)

अंडमान में सेवा से रिटायर हो चुके डॉक्टर रतन चंद्र कर यहां की जारवा जनजाति के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। साल 1999 में इन्होंने जारवा जनजाति को मीसल्स महामारी और उन्हें विलुप्त होने से बचाया। डॉक्टर चंद्र ने जनजाति की आबादी बढ़ाने में भी मदद की। इन्होंने जारवा पर 'अंडमानर आदिम जनजाति जारवा' नाम से किताब भी लिखी है। जारवा जनजाति नॉर्थ सेंटिनेल द्वीप से 48 किलोमीटर दूर रहती है।

हीराबाई लोबी (पद्मश्री)

सिद्दी आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाली हीराबाई लोबी को पद्म श्री देकर सम्मानित किया गया है। यह समुदाय गुजरात में रहता है। हीराबाई ने इस आदिवासी समुदाय का जीवन स्तर सुधारने में काफी योगदान दिया है।

मुनीश्वर चंदावर (पद्मश्री)

सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके जबलपुर के मनीश्वर चंदावर अब आम लोगों का इलाज कर उनकी भलाई करते हैं। वह बीते 50 सालों से गरीब लोगों का इलाज कर रहे हैं। लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए इन्हें मेडिसीन के क्षेत्र में पद्म पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है। चंदावर 1971 की लड़ाई लड़ चुके हैं।
इन आम लोगों को भी मिला पद्मश्री पुरस्कार
वी पी अप्पुकुट्टन पोडुवल (पद्मश्री)
शंकुरत्री चंद्र शेखर
वदिवेल गोपाल और मासी सदाइयां(जोड़ी)
तुला राम उप्रेती
नेकराम शर्मा
डॉ. जनम सिंह सोय
धानीराम टोटो
बी रामकृष्ण रेड्डी
अजय कुमार मंडावी
रानी मचैया
के सी रनरेमसंगी
मंगला कांति रॉय
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आलोक कुमार राव author

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