पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण और वोट बैंक की सोच से प्रेरित- अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर भारत का करारा जवाब
अमेरिका ने बुधवार को धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारत की आलोचना की थी। साथ ही यहूदियों और मुसलमानों के खिलाफ दुनिया भर में बढ़ती कट्टरता पर चिंता भी जताई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल प्रेस कांफ्रेंस करते हुए
- अमेरिका की रिपोर्ट पर कांग्रेस भी भड़की
- अमेरिका ने भारत की धार्मिक स्वतंत्रता पर की थी टिप्पणी
- अब विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की रिपोर्ट पर दिया जवाब
अमेरिका की एक रिपोर्ट पर भारत के विदेश मंत्रालय से करारा जवाब देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता की रिपोर्ट वोट बैंक से प्रेरित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि रिपोर्ट में भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण बयान को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को शामिल किया गया है।
विदेश मंत्रालय का अमेरिका को जवाब
रणधीर जायसवाल ने कहा कि अतीत की तरह, यह रिपोर्ट भी अत्यधिक पक्षपातपूर्ण है, इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है तथा यह स्पष्ट रूप से वोट बैंक की सोच और निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। उन्होंने कहा- "इसलिए हम इसे खारिज करते हैं। यह प्रक्रिया अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, तथ्यों के चयनात्मक उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है।"
चुनिंदा घटनाओं को चुना गया- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसने पूर्वाग्रह आधारित विचार को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना है। कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों और नियमों की वैधता पर ही सवाल उठाए गए हैं। जायसवाल ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि रिपोर्ट में भारतीय अदालतों द्वारा दिए गए कुछ फैसलों की ईमानदारी को भी चुनौती दी गई है।
अमेरिका ने क्या कहा था रिपोर्ट में
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट जारी करने के अवसर पर कहा कि भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों, घृणा भाषण और अल्पसंख्यक समुदायों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में ‘‘चिंताजनक वृद्धि’’ हुई है।
कांग्रेस ने भी अमेरिका को घेरा
अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा है कि अमेरिका हमारे मामले में दखल न दे। वह अपने यहां नस्ल भेद, वर्ण भेद की चिंता करे। हमारे लोकतंत्र में विपक्ष मजबूत है। उन्होंने कहा कि भारत में किसी तरह की परेशानी है तो उसके लिए राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं। हमारा विपक्ष मजबूत है। भारत के आंतरिक मामले में अमेरिका की दखलअंदाजी की कोई जरूरत नहीं है। हम अपने मामलों को उठाने और सुलझाने में सक्षम हैं।
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