लाल किले की प्राचीर से प्राकृतिक आपदाओं पर क्या बोले पीएम मोदी? वायनाड में भूस्खलन ने मचाई है तबाही

PM Modi on Natural Disasters: भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण चिंता बढ़ती जा रही है। हाल ही में केरल के वायनाड में भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। प्रधानमंत्री ने खुद आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था।

प्राकृतिक आपदा को लेकर पीएम मोदी ने व्यक्त की चिंता।

78th Independence Day: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को हालिया प्राकृतिक आपदाओं में जानमाल के नुकसान पर चिंता जताई और प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि संकट की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया।

प्राकृतिक आपदा को लेकर पीएम मोदी ने व्यक्त की चिंता

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण चिंता बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक आपदा में लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं, संपत्ति खोई है। आज उन सब के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं।' उन्होंने कहा, 'विश्वास दिलाता हूं कि देश संकट की इस घड़ी में उनके साथ खड़ा है।' केरल के वायनाड में पिछले दिनों भूस्खलन के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने वायनाड का दौरा किया था।

विकसित भारत बनाने को लेकर क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर 40 करोड़ लोग गुलामी की बेड़ियां तोड़कर आजादी हासिल कर सकते हैं, तो जरा सोचिए कि 140 करोड़ लोगों के संकल्प से क्या हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने संकल्प से भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में सक्षम हैं। उन्होंने आगे कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ महज शब्द नहीं हैं, ये 140 करोड़ लोगों के संकल्प और सपनों को दर्शाते हैं। पीएम मोदी ने बोला कि लोगों ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं, जिनमें राष्ट्र को विनिर्माण का केंद्र बनाना, ‘सीड कैपिटल’ बनाना शामिल है। उन्होंने बताया कि विकसित भारत के लिए लोगों के सुझावों में शासन में सुधार, त्वरित न्याय प्रणाली, पारंपरिक दवाओं को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।
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