आतंक की अनदेखी या आतंकवादियों से सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के साथ बहुत बड़ा अन्याय- NHRC चीफ ने किया साफ
दरअसल, मानवाधिकार संरक्षण के लिहाज से 10 दिसंबर के दिन का खास महत्व माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन को अंतरार्ष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 1950 में दस दिसंबर को मानवाधिकार दिवस घोषित किया था।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के चीफ न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा है कि आतंकवादी कृत्यों, आतंकवादियों की अनदेखी करना या उनके प्रति सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। यह बात उन्होंने रविवार (10 दिसंबर, 2023) को अंतररार्ष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर कही।
उन्होंने एक प्रोग्राम के दौरान कहा- मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में ऐसे आदर्श हैं, जो हमारे मूल्यों के अनुरूप हैं। उन्नत प्रौद्योगिकियों का नैतिक प्रभाव गंभीर चिंता का विषय है। इंटरनेट उपयोगी है, पर उसका स्याह पक्ष भी है। वह घृणा फैलाने वाली सामग्री के जरिए निजता का उल्लंघन कर रहा है। भ्रामक सूचना से लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हो रही है।
मिश्रा की ओर से बताया गया कि महिलाओं, बच्चों को सतत विकास के केंद्र में रखा जाना चाहिए। आतंकवादी कृत्यों, आतंकवादियों की अनदेखी करना या उनके प्रति सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
दरअसल, मानवाधिकार संरक्षण के लिहाज से 10 दिसंबर के दिन का खास महत्व माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन को अंतरार्ष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 1950 में दस दिसंबर को मानवाधिकार दिवस घोषित किया था, जिसका मकसद विश्वभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना और इसके पालन के प्रति सजग रहने का संदेश देना है।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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