कांग्रेस अधिवेशन: संकट के दौर में पार्टी, क्या नया जीवन देने की कोशिश हो पाएगी सफल?

गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन 8 और 9 अप्रैल को होने जा रहा है। इस अधिवेशन को पार्टी के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। गुजरात का विधानसभा चुनाव 2027 में होने वाला है। जिसे ध्यान में रखते हुए यह अधिवेशन पार्टी के लिए एक रणनीतिक अवसर बन गया है।

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कांग्रेस पार्टी इस समय अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में कुछ हद तक वापसी के संकेत जरूर मिले थे—INDIA गठबंधन में सबसे अधिक 99 सीटें कांग्रेस के खाते में आईं और राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष बनना पार्टी के लिए एक मनोबल बढ़ाने वाला क्षण था। इससे यह संकेत मिला कि कांग्रेस फिर से संगठित हो रही है और देश में एक मज़बूत विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार है। लेकिन हाल ही में हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में पार्टी को मिली करारी हार ने एक बार फिर उसकी कमजोरियों को उजागर कर दिया है। ऐसे में पार्टी का अधिवेशन, 8-9 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में होने जा रहा है, जिसे बेहद अहम माना जा रहा है।

गुजरात में पिछले 27 सालों से मिल रही हार

गुजरात—वही राज्य जहां कांग्रेस को पिछले 27 वर्षों से निरंतर हार का सामना करना पड़ रहा है। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह अधिवेशन एक रणनीतिक अवसर बन गया है। कांग्रेस नेतृत्व इस बार कुछ ठोस निर्णयों के साथ आगे बढ़ने का संकेत दे रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस अधिवेशन में ज़िला कांग्रेस कमेटियों (DCC) की भूमिका को अधिक प्रभावी बनाने, संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत करने, चुनावी तैयारियों को धार देने और पदाधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। गुजरात में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (CWC) में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य शामिल होंगे।

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क्या यह अधिवेशन कांग्रेस में एक नई ऊर्जा फूंकेगा?

यह सवाल अब अहम हो गया है। क्योंकि अगर कांग्रेस इस मौके पर भी अपने संगठन को मजबूत नहीं कर सकी, तो 2027 की लड़ाई और भी कठिन हो जाएगी। गुजरात में पैठ जमाने के लिए कांग्रेस को न केवल ज़मीनी स्तर पर काम करना होगा, बल्कि जनता से एक बार फिर जुड़ाव बनाने की दिशा में भी गंभीर प्रयास करने होंगे। अब देखना यह होगा कि क्या यह अधिवेशन कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत का मंच बनता है या फिर एक और खोया हुआ अवसर बनेगा।

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रंजीता झा author

13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें

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